मिलावट पर 25 दुकानदारों पर 9.94 लाख जुर्माना

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उन्नाव। जिले में खाद्य पदार्थों में मिलावट जोरों से जारी है। इसका खुलासा खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा पूर्व में लिए गए सैंपलों की आई जांच रिपोर्ट में हुआ। मामला एडीएम न्यायालय पहुंचा। सुनवाई के बाद एडीएम (वित्त/राजस्व) ने 25 विक्रेताओं पर 9.94 लाख का जुर्माना लगाया।
खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने इस साल की शुरुआत में विशेष चेकिंग अभियान चलाया था। इस दौरान दूध, दही, बेसन व राइस ब्रान ऑयल सहित अन्य खाद्य पदार्थों के नमूने लेकर जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा गया था। जांच के बाद प्रयोगशाला से जो रिपोर्ट भेजी गई, उसमें ऑयल, बेसन, तेल, दूध व दही के नमूने विभाग की गाइड लाइन पर खरे नहीं उतरे। रिपोर्ट के आधार पर यह मामले एडीएम कोर्ट में दाखिल किए गए।
जिसकी सुनवाई करते हुए एडीएम नरेंद्र सिंह ने 25 मामलों में लाखोें का जुर्माना ठोंका। इसमें रघुनाथखेड़ा के पुरुषोत्तम साहू व सुमेरपुर के पुरुषोत्तम पर मानकविहीन राइस ब्रान ऑयल बेचने पर 2.80 लाख रुपये (एक पर 1.40) अर्थदंड लगाया गया। पुरवा कालूखेड़ा के रवीशंकर कंफेक्शनरी शॉप पर बिक्री किए जा रहे फ्रूट केक के बारे में गलत जानकारी देने पर 1.5 लाख, बिचपुरी के राजेश कुमार की किराना दुकान में कुकीज में भी गलत जानकारी देने पर एक लाख, और सफीपुर के गौरव कुमार की दुकान से मानकविहीन बादाम पर 80 हजार का जुर्माना लगाया गया है।
न्यू लक्ष्मी ढाबा पर 50 हजार का अर्थदंड
लखनऊ कानपुर हाईवे पर न्यू लक्ष्मी ढाबा से पनीर का लिया गया नमूना भी मानकों पर खरा नहीं उतरा। जिस पर ढाबा संचालक संदीप कुमार पर 50 हजार का जुर्माना ठोका गया है। बिना पंजीकरण के मीट बेचने पर मो. नासिर, सिविल लाइन के विशाल पांडेय पर मानकविहीन खोया बेचने पर और शुक्लागंज के विनायक बाजपेयी पर मानक विहीन बर्फी बेचने पर 40, 40 हजार का जुर्माना लगाया गया। इसके अलावा कई अन्य दुकानों पर 30 हजार से लेकर 5 हजार तक का अर्थदंड ठोंका गया है। एडीएम नरेंद्र सिंह ने बताया कि 30 दिन में यदि जुर्माना जमा नहीं हुआ तो भू राजस्व की भांति वसूली की जाएगी।
चेकिंग और जुर्माने की यह है प्रक्रिया
खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग बाजार में बिकने वाली खानपान की वस्तुओं पर निगरानी रखता है। चेकिंग के दौरान जो सैंपल लिए जाते हैं, उन्हें प्रयोगशाला भेजा जाता है। जांच रिपोर्ट आने पर यदि साधारण मिलावट (स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं) की पुष्टि होती है तो एडीएम कोर्ट में वाद दायर किया जाता है। एडीएम मामले की सुनवाई करते हैं और मिलावट की गंभीरता पर आर्थिक जुर्माना लगाते हैं। वहीं जिन मामलों में ऐसी मिलावट पाई जाती है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं तो उन मामलों को सिविल कोर्ट में दायर किया जाता है। इन मामलों में मिलावटकर्ता को सजा और जुर्माना दोनों सुनाया जाता है।

यह भी पढ़ें -  उन्नाव: जिला अस्पताल की सीबीसी मशीन फिर खराब, जांच के लिए भटके मरीज

उन्नाव। जिले में खाद्य पदार्थों में मिलावट जोरों से जारी है। इसका खुलासा खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा पूर्व में लिए गए सैंपलों की आई जांच रिपोर्ट में हुआ। मामला एडीएम न्यायालय पहुंचा। सुनवाई के बाद एडीएम (वित्त/राजस्व) ने 25 विक्रेताओं पर 9.94 लाख का जुर्माना लगाया।

खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने इस साल की शुरुआत में विशेष चेकिंग अभियान चलाया था। इस दौरान दूध, दही, बेसन व राइस ब्रान ऑयल सहित अन्य खाद्य पदार्थों के नमूने लेकर जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा गया था। जांच के बाद प्रयोगशाला से जो रिपोर्ट भेजी गई, उसमें ऑयल, बेसन, तेल, दूध व दही के नमूने विभाग की गाइड लाइन पर खरे नहीं उतरे। रिपोर्ट के आधार पर यह मामले एडीएम कोर्ट में दाखिल किए गए।

जिसकी सुनवाई करते हुए एडीएम नरेंद्र सिंह ने 25 मामलों में लाखोें का जुर्माना ठोंका। इसमें रघुनाथखेड़ा के पुरुषोत्तम साहू व सुमेरपुर के पुरुषोत्तम पर मानकविहीन राइस ब्रान ऑयल बेचने पर 2.80 लाख रुपये (एक पर 1.40) अर्थदंड लगाया गया। पुरवा कालूखेड़ा के रवीशंकर कंफेक्शनरी शॉप पर बिक्री किए जा रहे फ्रूट केक के बारे में गलत जानकारी देने पर 1.5 लाख, बिचपुरी के राजेश कुमार की किराना दुकान में कुकीज में भी गलत जानकारी देने पर एक लाख, और सफीपुर के गौरव कुमार की दुकान से मानकविहीन बादाम पर 80 हजार का जुर्माना लगाया गया है।

न्यू लक्ष्मी ढाबा पर 50 हजार का अर्थदंड

लखनऊ कानपुर हाईवे पर न्यू लक्ष्मी ढाबा से पनीर का लिया गया नमूना भी मानकों पर खरा नहीं उतरा। जिस पर ढाबा संचालक संदीप कुमार पर 50 हजार का जुर्माना ठोका गया है। बिना पंजीकरण के मीट बेचने पर मो. नासिर, सिविल लाइन के विशाल पांडेय पर मानकविहीन खोया बेचने पर और शुक्लागंज के विनायक बाजपेयी पर मानक विहीन बर्फी बेचने पर 40, 40 हजार का जुर्माना लगाया गया। इसके अलावा कई अन्य दुकानों पर 30 हजार से लेकर 5 हजार तक का अर्थदंड ठोंका गया है। एडीएम नरेंद्र सिंह ने बताया कि 30 दिन में यदि जुर्माना जमा नहीं हुआ तो भू राजस्व की भांति वसूली की जाएगी।

चेकिंग और जुर्माने की यह है प्रक्रिया

खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग बाजार में बिकने वाली खानपान की वस्तुओं पर निगरानी रखता है। चेकिंग के दौरान जो सैंपल लिए जाते हैं, उन्हें प्रयोगशाला भेजा जाता है। जांच रिपोर्ट आने पर यदि साधारण मिलावट (स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं) की पुष्टि होती है तो एडीएम कोर्ट में वाद दायर किया जाता है। एडीएम मामले की सुनवाई करते हैं और मिलावट की गंभीरता पर आर्थिक जुर्माना लगाते हैं। वहीं जिन मामलों में ऐसी मिलावट पाई जाती है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं तो उन मामलों को सिविल कोर्ट में दायर किया जाता है। इन मामलों में मिलावटकर्ता को सजा और जुर्माना दोनों सुनाया जाता है।

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