यूपी: भ्रष्टाचार में सचिव निलंबित, पूर्व प्रधान पर एफआईआर की तैयारी, पढ़ें पूरा मामला

0
22

[ad_1]

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उन्नाव
Published by: शिखा पांडेय
Updated Thu, 21 Apr 2022 11:13 PM IST

ख़बर सुनें

सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार के दो अलग-अलग मामलों में जिला प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाया है। एक मामले में मनरेगा में अतिरिक्त भुगतान पर सचिव को निलंबित कर दिया गया है। तीन अन्य कार्रवाई के रडार पर हैं। वहीं, नवाबगंज के जंसार में शौचालय निर्माण में लाखों के घोटाले में जिम्मेदारों पर एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए गए हैं।

कार्रवाई-1
गंजमुरादाबाद के महोलिया में इस्टीमेट से ज्यादा का भुगतान
सात अप्रैल को सीडीओ दिव्यांशु पटेल ने गंजमुरादाबाद की ग्राम पंचायत महोलिया में मनरेगा से कराए गए कार्य का निरीक्षण किया था। एक कार्य की तकनीकी जांच में इस्टीमेट से ज्यादा का भुगतान किए जाने का मामला सामने आया था। अभिलेखीय व स्थलीय जांच के बाद 50,290 रुपये का अतिरिक्त भुगतान किए जाने की जानकारी हुई थी। इस मामले में पंचायत सचिव कुलदीप सिंह को मुख्य दोषी पाया गया था। सीडीओ के निर्देश पर डीडीओ मनीष कुमार ने कुलदीप सिंह को निलंबित करते हुए गंजमुरादाबाद ब्लाक से संबद्ध कर दिया है। साथ ही अंतिम जांच बीडीओ बांगरमऊ को सौंपी है। कुलदीप पर अनुशासनात्मक कार्रवाई भी शुरू की गई है। डीडीओ ने बताया कि मामले में प्रधान, ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के अवर अभियंता व तकनीकी सहायक भी दोषी पाए गए हैं। इनके खिलाफ अलग से कार्रवाई की जा रही है।

कार्रवाई-2
कागजों पर शौचालय बनाकर 12 लाख किए हजम
नवाबगंज विकासखंड की ग्राम पंचायत जंसार के प्रधान पवन शर्मा ने डीएम को दिए गए शिकायतीपत्र में बताया था कि उसके पूर्व के कार्यकाल में कागजों पर शौचालयों का निर्माण कराकर लाखों रुपये हड़प लिए गए। इसमें प्रधान व सचिव का गठजोड़ शामिल था। डीएम ने डीपीआरओ को जांच के आदेश दिए थे। डीपीआरओ निरीशचंद्र साहू के निर्देश पर सहायक जिला पंचायतराज अधिकारी (प्राविधिक) शेष नारायण शर्मा ने 31 मार्च को गांव जाकर पड़ताल की थी। जांच के दौरान शौचालयों का स्थलीय निरीक्षण और अभिलेखों का मिलान किया। एडीपीआरओ की रिपोर्ट में 100 लाभार्थियों के नाम 12 हजार रुपये की धनराशि शौचालय निर्माण के नाम पर भेजी दिखाई गई। असलियत में मौके पर शौचालय बने ही नहीं। इस रिपोर्ट के आधार पर डीएम रवींद्र कुमार ने पूर्व प्रधान अनीता त्रिपाठी व सचिव दीपक मिश्रा को दोषी माना। अब इस मामले में जिम्मेदारों पर एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए गए हैं। डीपीआरओ ने बताया कि पूर्व प्रधान व सचिव पर रिपोर्ट दर्ज कराई जा रही है। साथ ही जिम्मेदारों से घोटाले की धनराशि की रिकवरी भी कराने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

यह भी पढ़ें -  Unnao News: जमीन की पैमाइश करने गए लेखपाल से अभद्रता, धमकी

सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार के दो अलग-अलग मामलों में जिला प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाया है। एक मामले में मनरेगा में अतिरिक्त भुगतान पर सचिव को निलंबित कर दिया गया है। तीन अन्य कार्रवाई के रडार पर हैं। वहीं, नवाबगंज के जंसार में शौचालय निर्माण में लाखों के घोटाले में जिम्मेदारों पर एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए गए हैं।

कार्रवाई-1

गंजमुरादाबाद के महोलिया में इस्टीमेट से ज्यादा का भुगतान

सात अप्रैल को सीडीओ दिव्यांशु पटेल ने गंजमुरादाबाद की ग्राम पंचायत महोलिया में मनरेगा से कराए गए कार्य का निरीक्षण किया था। एक कार्य की तकनीकी जांच में इस्टीमेट से ज्यादा का भुगतान किए जाने का मामला सामने आया था। अभिलेखीय व स्थलीय जांच के बाद 50,290 रुपये का अतिरिक्त भुगतान किए जाने की जानकारी हुई थी। इस मामले में पंचायत सचिव कुलदीप सिंह को मुख्य दोषी पाया गया था। सीडीओ के निर्देश पर डीडीओ मनीष कुमार ने कुलदीप सिंह को निलंबित करते हुए गंजमुरादाबाद ब्लाक से संबद्ध कर दिया है। साथ ही अंतिम जांच बीडीओ बांगरमऊ को सौंपी है। कुलदीप पर अनुशासनात्मक कार्रवाई भी शुरू की गई है। डीडीओ ने बताया कि मामले में प्रधान, ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के अवर अभियंता व तकनीकी सहायक भी दोषी पाए गए हैं। इनके खिलाफ अलग से कार्रवाई की जा रही है।

कार्रवाई-2

कागजों पर शौचालय बनाकर 12 लाख किए हजम

नवाबगंज विकासखंड की ग्राम पंचायत जंसार के प्रधान पवन शर्मा ने डीएम को दिए गए शिकायतीपत्र में बताया था कि उसके पूर्व के कार्यकाल में कागजों पर शौचालयों का निर्माण कराकर लाखों रुपये हड़प लिए गए। इसमें प्रधान व सचिव का गठजोड़ शामिल था। डीएम ने डीपीआरओ को जांच के आदेश दिए थे। डीपीआरओ निरीशचंद्र साहू के निर्देश पर सहायक जिला पंचायतराज अधिकारी (प्राविधिक) शेष नारायण शर्मा ने 31 मार्च को गांव जाकर पड़ताल की थी। जांच के दौरान शौचालयों का स्थलीय निरीक्षण और अभिलेखों का मिलान किया। एडीपीआरओ की रिपोर्ट में 100 लाभार्थियों के नाम 12 हजार रुपये की धनराशि शौचालय निर्माण के नाम पर भेजी दिखाई गई। असलियत में मौके पर शौचालय बने ही नहीं। इस रिपोर्ट के आधार पर डीएम रवींद्र कुमार ने पूर्व प्रधान अनीता त्रिपाठी व सचिव दीपक मिश्रा को दोषी माना। अब इस मामले में जिम्मेदारों पर एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए गए हैं। डीपीआरओ ने बताया कि पूर्व प्रधान व सचिव पर रिपोर्ट दर्ज कराई जा रही है। साथ ही जिम्मेदारों से घोटाले की धनराशि की रिकवरी भी कराने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here