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सार
कोर्ट ने पूछा है कि रेलवे द्वारा नियमित हुए 115 कैजुअल कर्मचारियों का रिकॉर्ड दुर्भावनापूर्ण ढंग से या सतत प्रक्रिया के तहत नष्ट किया गया है। याचिका की सुनवाई 29 अप्रैल को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने अधिवक्ता प्रदीप कुमार द्विवेदी की पुनरीक्षण याचिका पर दिया है।
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विस्तार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर मध्य रेलवे प्रयागराज के महाप्रबंधक प्रमोद कुमार एवं वरिष्ठ कार्मिक अधिकारी बृजेश कुमार चतुर्वेदी व अन्य पूर्व अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज कर विवेचना करने की मांग को लेकर दाखिल पुनरीक्षण याचिका पर अपर शासकीय अधिवक्ता से जानकारी मांगी है।
कोर्ट ने पूछा है कि रेलवे द्वारा नियमित हुए 115 कैजुअल कर्मचारियों का रिकॉर्ड दुर्भावनापूर्ण ढंग से या सतत प्रक्रिया के तहत नष्ट किया गया है। याचिका की सुनवाई 29 अप्रैल को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने अधिवक्ता प्रदीप कुमार द्विवेदी की पुनरीक्षण याचिका पर दिया है। याचिका में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट इलाहाबाद द्वारा याची की दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) की अर्जी निरस्त करने के आदेश को चुनौती दी गई है।
याची का कहना है कि रेलवे महाप्रबंधक व अन्य अधिकारियों ने 115 कैजुअल कर्मचारियों को 11 दिसंबर 1996 को नीति के तहत नियमित किया था। अधिकारियों ने कई वास्तविक कर्मचारियों को नियमित न कर अपने चहेतों को नियमित कर दिया। केंद्रीय सूचना आयोग के निर्देश पर विजिलेंस जांच की गई। रिपोर्ट में कहा गया कि विभाग मे नियमित कर्मचारियों का रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।
याची ने कूट रचित दस्तावेज तैयार करने, सरकारी दस्तावेज बिना प्राधिकार के नष्ट करने के आरोप में धूमनगंज थाने में शिकायत की। सुनवाई न होने पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष अर्जी दी। मजिस्ट्रेट ने कहा लोक सेवक के विरुद्ध सरकार या विभाग की अनुमति लिए बगैर आपराधिक केस दर्ज नहीं किया जा सकता और अर्जी खारिज कर दी। जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है।
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