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सार
देवबंद में जमीयत के राष्ट्रीय अधिवेशन के अंतिम चरण ने मौलाना महमूद मदनी ने बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि जिन्हें हमारे मजहब, पहनावे और खानपान से दिक्कत है, उनके जाने का रास्ता खुला हुआ। अधिवेशन के अंतिम दिन ज्ञानवापी मस्जिद समेत कई प्रस्ताव पारित हुए।
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विस्तार
देवबंद में जमीयत उलमा-ए-हिंद की राष्ट्रीय प्रबंधक कमेटी के दो दिवसीय अधिवेशन के अंतिम चरण में ज्ञानवापी मस्जिद, मुथरा की शाही ईदगाह और कॉमन सिविल कोड को लेकर प्रस्ताव पारित किए गए। माहौल खराब करने वालों की जमकर आलोचना की गई। इस दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व राज्यसभा सांसद मौलाना महमूद मदनी ने मुस्लिमों को देश छोड़कर पाकिस्तान चले जाने की सलाह देने वालों पर जमकर निशाना साधा। मदनी ने पलटवार करते हुए कहा कि जो लोग हमें पाकिस्तान जाने का मशविरा देते हैं, यदि उन्हें हमारा मजहब, पहनावा और खानपान पसंद नहीं है तो वह देश छोड़कर कहीं ओर चले जाएं।
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मुल्क के कोने कोने से अधिवेशन में शिरकत करने पहुंचे प्रमुख उलमा की उपस्थिति में मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि जो लोग हमें देश छोड़कर जाने की सलाह देते हैं उन्हें यह जान लेना चाहिए कि हम इसी देश के रहने वाले हैं। हमारे पास पाकिस्तान जाने का विकल्प था, लेकिन क्या यह विकल्प आपके पास नहीं था। उसके बावजूद हम नहीं गए।
मौलाना महमूद ने कहा कि हमें अल्पसंख्यक माना जाता है, लेकिन नफरत फैलाने वालों के इतर यदि हम अपनी सोच वालों को मिलाएं तो हम सबसे बड़ी आबादी हैं। क्योंकि देश के भीतर नफरत बांटने वालों की संख्या बहुत कम है। राष्ट्र निर्माण और देश को मजबूती देने वाले लोग अधिक हैं।
उन्होंने कहा कि अगर नफरत फैलाने वाले एकता अखंडता की बात करते हैं तो वह उनका राष्ट्रप्रेम है और अगर हम देश बचाने की बात करें तो उसे ढोंग बताया जाता है। मगर वह लोग यह सुन लें कि इस देश के लिए अगर मेरा खून बहेगा तो यह मेरे लिए सौभाग्य की बात होगा। मदनी ने देश में प्रेम, सद्भावना और एकता अखंडता को मजबूत करने के लिए सभी वर्गो और धर्मों के साथ मिलकर भाईचारे के साथ काम करने की जरूरत पर भी जोर दिया।
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