अंधविश्वास का मामला : अभयराज के घर में छह माह से नहीं जला था चूल्हा, देवी मां के भरोसे थे सभी लोग

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पांच दिनों तक शव के साथ घर में रह रहे परिजनों की कहानी सामने आने के बाद अचानक करछना थाना क्षेत्र का डीहा गांव प्रदेश की सुर्खियों में आ गया। यहां अभयराज यादव के घर के अंदर उसकी छोटी बेटी अंतिमा का शव मिला था। घर वाले उसके शव के साथ पांच दिनों तक अंदर थे और झांड फूंक कर उसे जिंदा करने का प्रयास कर रहे थे। जानकारी पर प्रशासन ने घर में बीमार लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया यहां उनका अभी इलाज चल रहा है। वहीं अभयराज व उसकी पत्नी अपनी ससुराल चले गए। लेकिन अब अभयराज यादव व उसके परिजनों को अपने घर में रहने के लिए आर्थिक मदद की आवश्यकता है।

अभयराज के भतीजे उमा शंकर यादव ने बताया कि उनके घर में न तो आनाज है। न उसे बनाने के लिए बर्तन और रहने के लिए बिस्तर भी नहीं है। वह बताते है कि बीते छह माह से उनके घर में चूल्हा नहीं जला था। उसके दामाद जब आते थे तो वह कुछ आर्थिक मदद कर दिया करते थे। जिससे घर वाले लाई चना लाते थे और उसे खाकर जीवन व्यापन कर रहे थे।

 

बताया कि अभयराज व उनकी पत्नी विमला देवी अपनी ससुराल अमहा देहली में है तो उसके तीन बेटे व एक बेटी का इलाज अभी एसआरएन अस्पताल में चल रहा है। परिवार, रिश्तेदार व समाज से नाता तोड़कर रह रहे अभयराज व उनका परिवार अब घर जाएगा तो उसे जीवन व्यापन के लिए आर्थिक मदद की आवश्यकता पड़ेगी इसके लिए उसके साले प्रयासकर रहे है।

बता दे कि घटना वाले दिन पुलिस व प्रशासन के अधिकारी गांव पहुंचे थे और परिवार को सरकारी मदद दिलाने की बात कही थी। उमा शंकर ने बताया कि मंगलवार को अभयराज के घर अधिकारी आए थे लेकिन इसके बाद कोई भी अधिकारी न तो उनसे मिलने आया और न ही उनसे बातचीत की। बताया कि अधिकारियों को फोन आता और वह अभयराज व उसकी पत्नी के स्वास्थ्य के बारे में पूछ कर अपना कोरम पूरा कर लेते है। 

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अभयराज यादव का पूरा परिवार अंधविश्वास के कुचक्र में ऐसा फंसा हुआ था कि बीते तीन माह से लाई-चना व गंगाजल ग्रहण कर जीवन बिता रहा था। लाई-चना भी दिन में केवल एक बार ही खाया करते थे। सुबह चार बजे अभयराज की बेटियां व बेटे गंगा घाट पर स्नान करने जाती थीं और वहीं बने चौरा देवी स्थान पर घंटों पूजा किया करते थे। यहां पर अभयराज की बेटियां गीत गाया करती थीं। यह देखकर गांव वाले दहशत में रहते थे।

पूरा परिवार गांव के किसी मंदिर में नहीं जाया करता था। अभयराज के घर पर उसकी बेटी बीनू की ही चला करती थी। बहनें व भाई उसका कहा मानते थे। पिता और मां जब विरोध करते तो उन्हें कमरे में बंद कर दिया जाता था। घटना के कुछ दिन पहले ही एक रिश्तेदार के घर पहुंचने पर उन्हें कमरे से बाहर निकाला गया था। बेटी की मौत के बाद जब अभयराज ने अंतिम संस्कार करने को कहा तो उसे फिर से कमरे में बंद कर दिया गया।

अभी भी काफी कमजोर है अभयराज व उसकी पत्नी 

करछना के डीहा गांव के अभयराज यादव व उसकी पत्नी विमला देवी अभी भी काफी कमजोर है। कई दिनों से बिना खाना खाए लाई चना व गंगाजल पर आश्रित रहने के कारण उनका शरीर काफी कमजोर हो गया है। भतीजा उमाशंकर यादव ने बताया कि वह अब बातचीत कर रहे है। लेकिन चलने फिरने में अस्वस्थ्य है। बातचीत के दौरान परिवार की दशा को लेकर काफी भावुक हो जाते है। बताया कि गांव वालों व रिश्तेदारों में अभी भी परिवार को लेकर काफी डर है और वह उनसे जुड़ाव को लेकर कतरा रहे है। 

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