Akhilesh Vs Rajbhar : क्या बिखर जाएगा सपा का गठबंधन, जानें अखिलेश यादव से क्यों नाराज हैं ओम प्रकाश राजभर?

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समाजवादी पार्टी का गठबंधन टूट की कगार पर है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर सपा प्रमुख अखिलेश यादव से नाराज बताए जा रहे हैं। राजभर से पहले महान दल के केशव देव मौर्य भी सपा गठबंधन से अलग हो चुके हैं। वहीं, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रमुख शिवपाल यादव भी चुनाव के बाद से ही अखिलेश पर हमलावर रहे हैं। 

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या समाजवादी पार्टी का गठबंधन पूरी तरह बिखर जाएगा? आखिर सपा के साथ चुनाव लड़ने वाली पार्टियां बाद में अलग क्यों हो जाती हैं? क्यों सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर गठबंधन की पार्टियों को तवज्जो न देने के आरोप लगते हैं? आइए जानते हैं… 

 

ओम प्रकाश राजभर के इस बयान के बाद गठबंधन टूटने के लग रहे कयास 

विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार यशवंत सिन्हा गुरुवार को लखनऊ पहुंचे। यहां समाजवादी पार्टी और रालोद के विधायकों ने उन्हें अपना समर्थन दिया। हालांकि, इस कार्यक्रम में सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाले ओम प्रकाश राजभर और उनकी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के विधायकों को नहीं बुलाया गया। इस पर मीडिया ने ओम प्रकाश राजभर से सवाल पूछा। तो उन्होंने कहा, ‘मुझे बुलाया नहीं गया था। सपा अध्यक्ष को जयंत चौधरी की जरूरत है। अब मेरी जरूरत नहीं है। राष्ट्रपति चुनाव पर कल के बाद फैसला लेंगे।’ 

 

पहले भी सपा मुखिया पर साध चुके निशाना

ये पहली बार नहीं था, जब ओम प्रकाश राजभर ने अखिलेश यादव पर निशाना साधा हो। चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही वह सपा प्रमुख पर लगातार हमलावर होते रहे हैं। विधान परिषद (एमएलसी) चुनाव के दौरान भी राजभर ने अखिलेश यादव पर तंज कसा था। 

ओम प्रकाश राजभर चाहते थे कि विधान परिषद की चार सीटों में कम से कम एक सीट उन्हें मिले, जिससे उनका बेटा सदन में पहुंच सके। लेकिन अखिलेश यादव ने इंकार कर दिया। इससे नाराज राजभर ने तंज कसते हुए कहा था कि 34 सीट पर चुनाव लड़कर आठ जीतने वाले को राज्यसभा का इनाम मिला और 14 सीट लेकर छह जीतने वाले की अनदेखी हुई। 

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आजमगढ़ और रामपुर में हार के लिए ठहराया था जिम्मेदार

आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव हारने के बाद भी राजभर ने अखिलेश पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था, ‘अगर अखिलेश आजमगढ़ गए होते तो चुनाव जीत जाते। हम लोग धूप में प्रचार कर रहे थे और वे एसी में बैठे रहे।’ इस पर बुधवार को अखिलेश ने कहा कि सपा को किसी की सलाह की जरूरत नहीं है। कई बार राजनीति पर्दे के पीछे से चलती है।

 

क्या गठबंधन टूट जाएगा?

हमने ये समझने के लिए वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव से बात की। उन्होंने कहा, ‘ओम प्रकाश राजभर खुलकर बोलने वाले शख्स हैं। कई बार उन्हें बड़बोला कहा जाता है। चुनाव के बाद ओम प्रकाश राजभर ने बयान दिया था वह जानते थे कि सपा गठबंधन चुनाव हार रहा है। इस बयान के बाद से अखिलेश ने उनसे दूरी बनानी शुरू कर दी। विधान परिषद और फिर राज्यसभा चुनाव में भी उन्हें नहीं पूछा गया। अब राष्ट्रपति चुनाव के दौरान भी ओम प्रकाश राजभर को किनारे कर दिया गया। मतलब साफ है कि समाजवादी पार्टी अब ओपी राजभर के साथ अपना गठबंधन आगे जारी नहीं रखना चाहती है।’

श्रीवास्तव आगे कहते हैं, ‘ओम प्रकाश राजभर भी यह समझ चुके हैं कि अब यहां उनकी दाल नहीं गलने वाली है। यही कारण है कि वह भी अपना राजनीतिक भविष्य तलाशने में जुट गए हैं। इसके लिए पहले उन्होंने बसपा पर डोरे डाले और अब वापस भाजपा की तरफ उनका झुकाव बढ़ने लगा है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में सपा-सुभासपा का गठबंधन टूट सकता है।’

 

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