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उन्नाव। निजी स्कूलों से संबद्ध वाहनों का परिवहन विभाग से परमिट व फिटनेस कराना अनिवार्य है लेकिन अधिकतर स्कूली वाहन इसके बगैर दौड़ रहे हैं। बसों व वैन में दोगुने बच्चे बैठाकर जान जोखिम में डालकर सफर जारी है। तीन माह पहले एआरटीओ ने अभियान चलाया था। इस दौरान 200 वाहनों में मानक पूरे न होने पर स्कूल संचालकों को नोटिस भेजा गया था। इसके बाद सिर्फ 70 वाहनों का ही फिटनेस व परमिट कराया गया। अन्य का संचालन जारी है।
स्कूलों में लगीं अधिकांश वैन पुरानी हैं। उनमें सीएनजी व एलपीजी किट लगी है। कई में तो एआरटीओ की अनुमति भी नहीं है। वैन में आठ छात्र बैठाने चाहिए लेकिन 15 छात्रों को बैठाया जाता है। कभी-कभी तो सीट पर जगह न होने से बच्चों को गैस किट के पास ही बैठा दिया जाता है। वैन की गति 70 से 80 किलोमीटर प्रति घंटे होती है। एआरटीओ कार्यालय में स्कूल बस व वैन मिलाकर 759 वाहन पंजीकृत हैं। हकीकत ये है कि इनमें लगभग आधे वाहन बिना मानक दौड़ रहे हैं।
ये हैं संचालन के मानक
स्कूली वैन का दो तरह से परमिट मिलता है। स्कूल प्रबंधन की वैन व निजी वैन का स्कूल से अनुबंध होने का अलग-अलग परमिट दिया जाता है। स्कूल प्रबंधन की पूरी वैन पीले रंग की होनी चाहिए। अनुबंधित वैन के चारों ओर पीली पट्टी लगी होनी चाहिए। वैन में रॉड लगी होनी चाहिए ताकि बच्चे सिर बाहर न निकाल सकें। स्कूल का नाम, चालक का नाम, मोबाइल नंबर व परमिट संख्या लिखी होनी अनिवार्य है। सीएनजी व एलपीजी किट लगी है तो उसमें एआरटीओ की अनुमति जरूर होनी चाहिए।
चालकों का ऑनलाइन सत्यापन नहीं
डीआईओएस ने कई स्कूलों को नोटिस भेजा था। उसके बाद भी सुनवाई न होने पर मान्यता प्रत्याहरण के लिए शासन को पत्र लिखा था। उसके डर से कई प्रबंधकों ने वाहनों की कमियां तो दूर कराईं लेकिन चालकों का सत्यापन नहीं हो पाया है। डीआईओएस रविशंकर ने बताया कि ऑनलाइन सत्यापन पुलिस को करना है, वहां काम चल रहा है।
एआरटीओ आदित्य कुमार त्रिपाठी ने बताया कि पहले चले अभियान में 200 वाहन बिना परमिट व फिटनेस मिले थे। नोटिस जारी हुआ था। जिसमें 70 वाहनों की कमियां दूर हुई थीं। शेष का संचालन न करने के आदेश प्रबंधकों को दिए गए थे। अब फिर अभियान चलाया जाएगा।
अभिभावकों बोले, अधिकारी करें जांच
सिंगरोसी निवासी विजय सिंह की बेटी पलक कक्षा चार की छात्रा है। वह शहर के एक स्कूल में पढ़ती है और वैन से आती-जाती है। बेटी की सुरक्षा पर बताया कि चालक से गाड़ी सही चलने व कागज पूरे होने की जानकारी ली तो उसने सब सही बताया। अब जांच करना तो अधिकारी का काम है।
अकरमपुर निवासी रामविकास कुशवाहा का बेटा उत्कर्ष कक्षा दो का छात्र है। वह अकरमपुर सिंगरोसी के एक कान्वेंट स्कूल में पढ़ता है। आने-जाने के लिए वैन लगी है। लेकिन उसकी फिटनेस है कि नहीं इसकी जानकारी नहीं।
उन्नाव। निजी स्कूलों से संबद्ध वाहनों का परिवहन विभाग से परमिट व फिटनेस कराना अनिवार्य है लेकिन अधिकतर स्कूली वाहन इसके बगैर दौड़ रहे हैं। बसों व वैन में दोगुने बच्चे बैठाकर जान जोखिम में डालकर सफर जारी है। तीन माह पहले एआरटीओ ने अभियान चलाया था। इस दौरान 200 वाहनों में मानक पूरे न होने पर स्कूल संचालकों को नोटिस भेजा गया था। इसके बाद सिर्फ 70 वाहनों का ही फिटनेस व परमिट कराया गया। अन्य का संचालन जारी है।
स्कूलों में लगीं अधिकांश वैन पुरानी हैं। उनमें सीएनजी व एलपीजी किट लगी है। कई में तो एआरटीओ की अनुमति भी नहीं है। वैन में आठ छात्र बैठाने चाहिए लेकिन 15 छात्रों को बैठाया जाता है। कभी-कभी तो सीट पर जगह न होने से बच्चों को गैस किट के पास ही बैठा दिया जाता है। वैन की गति 70 से 80 किलोमीटर प्रति घंटे होती है। एआरटीओ कार्यालय में स्कूल बस व वैन मिलाकर 759 वाहन पंजीकृत हैं। हकीकत ये है कि इनमें लगभग आधे वाहन बिना मानक दौड़ रहे हैं।
ये हैं संचालन के मानक
स्कूली वैन का दो तरह से परमिट मिलता है। स्कूल प्रबंधन की वैन व निजी वैन का स्कूल से अनुबंध होने का अलग-अलग परमिट दिया जाता है। स्कूल प्रबंधन की पूरी वैन पीले रंग की होनी चाहिए। अनुबंधित वैन के चारों ओर पीली पट्टी लगी होनी चाहिए। वैन में रॉड लगी होनी चाहिए ताकि बच्चे सिर बाहर न निकाल सकें। स्कूल का नाम, चालक का नाम, मोबाइल नंबर व परमिट संख्या लिखी होनी अनिवार्य है। सीएनजी व एलपीजी किट लगी है तो उसमें एआरटीओ की अनुमति जरूर होनी चाहिए।
चालकों का ऑनलाइन सत्यापन नहीं
डीआईओएस ने कई स्कूलों को नोटिस भेजा था। उसके बाद भी सुनवाई न होने पर मान्यता प्रत्याहरण के लिए शासन को पत्र लिखा था। उसके डर से कई प्रबंधकों ने वाहनों की कमियां तो दूर कराईं लेकिन चालकों का सत्यापन नहीं हो पाया है। डीआईओएस रविशंकर ने बताया कि ऑनलाइन सत्यापन पुलिस को करना है, वहां काम चल रहा है।
एआरटीओ आदित्य कुमार त्रिपाठी ने बताया कि पहले चले अभियान में 200 वाहन बिना परमिट व फिटनेस मिले थे। नोटिस जारी हुआ था। जिसमें 70 वाहनों की कमियां दूर हुई थीं। शेष का संचालन न करने के आदेश प्रबंधकों को दिए गए थे। अब फिर अभियान चलाया जाएगा।
अभिभावकों बोले, अधिकारी करें जांच
सिंगरोसी निवासी विजय सिंह की बेटी पलक कक्षा चार की छात्रा है। वह शहर के एक स्कूल में पढ़ती है और वैन से आती-जाती है। बेटी की सुरक्षा पर बताया कि चालक से गाड़ी सही चलने व कागज पूरे होने की जानकारी ली तो उसने सब सही बताया। अब जांच करना तो अधिकारी का काम है।
अकरमपुर निवासी रामविकास कुशवाहा का बेटा उत्कर्ष कक्षा दो का छात्र है। वह अकरमपुर सिंगरोसी के एक कान्वेंट स्कूल में पढ़ता है। आने-जाने के लिए वैन लगी है। लेकिन उसकी फिटनेस है कि नहीं इसकी जानकारी नहीं।
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