हाईकोर्ट : अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि हत्याकांड मामले मे आनंद गिरि की जमानत अर्जी पर सुनवाई जारी

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इलाहाबाद हाईकोर्ट में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की खुदकुशी मामले में उकसाने के आरोपी शिष्य आनंद गिरी की जमानत अर्जी की सुनवाई जारी है। सुनवाई बृहस्पतिवार को भी होगी। अर्जी की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह कर रहे हैं।

याची की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल स्वरूप चतुर्वेदी ने तर्क दिया कि खुदकुशी के पहले लिखे नोट में महंत ने दूसरे व्यक्ति के हवाले से याची पर उन्हें बदनाम करने का आरोप लगाया है। उनकी अपनी व्यक्तिगत जानकारी में बातें नहीं लिखी गई है। सुनी हुई बातों को लेकर आरोप लगाया गया है। याची का महंत से हुआ विवाद समाप्त हो गया था । उन्होंने माफ कर दिया था। कोई दुराव नहीं रह गया था।

याची घटना के दिन से दो माह पहले से हरिद्वार में रह रहा था । स्वामी नरेंद्र गिरी से खुदकुशी से पहले फोन पर बात करने और भयभीत करने का कोई साक्ष्य नहीं हैं। वह घटना स्थल से काफी दूर था। किसी दूसरे व्यक्ति ने उन्हें गलत जानकारी देकर खुदकुशी की ओर धकेला है। जिसमें याची की कोई भूमिका नहीं है। उनकी मौत से उसे कोई फायदा न होकर नुकसान ही हुआ है। बहस जारी है। समय की कमी के चलते पूरी नहीं हो सकी। सीबीआई की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश व संजय यादव पक्ष रखेंगे।

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विस्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की खुदकुशी मामले में उकसाने के आरोपी शिष्य आनंद गिरी की जमानत अर्जी की सुनवाई जारी है। सुनवाई बृहस्पतिवार को भी होगी। अर्जी की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह कर रहे हैं।

याची की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल स्वरूप चतुर्वेदी ने तर्क दिया कि खुदकुशी के पहले लिखे नोट में महंत ने दूसरे व्यक्ति के हवाले से याची पर उन्हें बदनाम करने का आरोप लगाया है। उनकी अपनी व्यक्तिगत जानकारी में बातें नहीं लिखी गई है। सुनी हुई बातों को लेकर आरोप लगाया गया है। याची का महंत से हुआ विवाद समाप्त हो गया था । उन्होंने माफ कर दिया था। कोई दुराव नहीं रह गया था।

याची घटना के दिन से दो माह पहले से हरिद्वार में रह रहा था । स्वामी नरेंद्र गिरी से खुदकुशी से पहले फोन पर बात करने और भयभीत करने का कोई साक्ष्य नहीं हैं। वह घटना स्थल से काफी दूर था। किसी दूसरे व्यक्ति ने उन्हें गलत जानकारी देकर खुदकुशी की ओर धकेला है। जिसमें याची की कोई भूमिका नहीं है। उनकी मौत से उसे कोई फायदा न होकर नुकसान ही हुआ है। बहस जारी है। समय की कमी के चलते पूरी नहीं हो सकी। सीबीआई की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश व संजय यादव पक्ष रखेंगे।

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