[ad_1]
लिसाड़ीगेट निवासी शाहिद ने बेटी की हत्या के लिए पंद्रह दिन पहले ही योजना बना ली थी। बेटी के कत्ल के लिए ऐसा दिन चुना जब घर पर कोई नहीं था। शाइना की बड़ी बहन की शादी मुजफ्फरनगर में हुई थी। वह गर्भवती थी और अस्पताल में भर्ती थी। 11 अगस्त को परिवार के अन्य सदस्य उसे देखने के लिए अस्पताल गए थे। घर पर शाहिद और बेटी शाइना ही थी। इस मौके का फायदा उठाकर शाहिद हैवान बन गया और बेटी को बेरहमी से गर्दन काटकर मौत के घाट उतार दिया।
शाइना की हत्या के बाद कातिल पिता ने हर वो सबूत मिटाना चाहा जिससे उसकी पहचान होती। उसने पुलिस पूछताछ में बताया कि सबसे पहले उसने रात के ढाई बजे सोती हुई बेटी के मुहं में कपड़ा ठूंसा और जिस छुरे से बकरीद पर कुर्बानी दी थी उसी से बेटी की गर्दन काट डाली। खून बहने लगा तो वह लाश को बाथरूम के पास ले गया और सिर को धड़ से अलग कर दिया। शरीर से पूरा खून निकल जाने के बाद उसने पानी से उसे साफ किया।
शव से खून बहना बंद होने के बाद आरोपी ने बेटी के धड़ को फल रखने वाली प्लास्टिक की कैरट में रखा और साइकिल पर लेकर कब्रिस्तान जाने वाली सड़क पर फेंक आया। इसके बाद वह सिर को एक थैले में रखकर माधवपुरम नाले पर पहुंचा और यहां थैले समेत बेटी का सिर नाले में फेंक दिया। इसके बाद वह घर पहुंचा और खून के निशान साफ किए। जिस छुरे से गर्दन काटी थी उसे भी कातिल पिता ने छिपा दिया।
युवती की लाश के मामले में खुलासा करना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन रहा था, क्योंकि धड़ से सिर गायब था। न कोई पहचान, न सबूत। पुलिस ने हजारों सीसीटीवी फुटेज देखीं लेकिन कोई सुराग नहीं लगा। मंगलवार को एक कॉल ने पुलिस की राह आसान कर दी। यह कॉल मुखबिर की थी।
[ad_2]
Source link