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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विचाराधीन कैदियों को कानूनी सहायता और बिना देरी जमानत याचिका दाखिल किए जाने के मामले में विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से लागू योजनाओं पर प्रभावी तौर पर क्रियान्वयन का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि विधिक सेवा प्राधिकरण को इस पर काम करने की जरूरत है। कोर्ट ने गंभीर अपराधों में जेल में बंद कैदियों को कानूनी सहायता मुहैया कराने के निर्देश दिए। यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने जौनपुर के अनिल गौर उर्फ सोनू की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिया है।
कोर्ट ने गंभीर अपराधों में विचाराधीन मामलों में जेल में बंद जरूरतमंद कैदियों को कानूनी सहायता मुहैया कराने के लिए एक व्यापक कार्यक्रम बनाने को भी कहा है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे बंदियों को चिह्नित किया जाए जो ट्रायल कोर्ट से जमानत खारिज होने के बाद हाईकोर्ट में जमानत के लिए अर्जी नहीं दे पाए या जो हाईकोर्ट में पहली जमानत अर्जी खारिज होने के बाद दूसरी जमानत अर्जी नहीं दाखिल कर पाए।
कोर्ट ने जमानत अर्जियों पर प्रभावी रूप से पैरवी नहीं कर पाने वाले कैदियों को भी चिह्नित करने को कहा है। यह भी निर्देश दिया कि जो अधिवक्ता ऐसे कैदियों को कानूनी सहायता मुहैया कराते हैं, उनकी मदद की जाए ताकि वह जरूरी दस्तावेज प्राप्त कर सकें। कोर्ट ने जेल अधिकारियों को भी निर्देश दिया है कि वे विधिक सेवा प्राधिकरण का सहयोग करें।
मामले में याची की ओर से तर्क दिया गया कि 2019 में उसकी जमानत अर्जी ट्रायल कोर्ट की ओर से खारिज की जा चुकी है। याची एक गरीब व्यक्ति है, जिसे उसके नजदीकियों और रिश्तेदारों ने भी जेल जाने के बाद छोड़ दिया। हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने में उसे तीन साल लग गए।
विस्तार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विचाराधीन कैदियों को कानूनी सहायता और बिना देरी जमानत याचिका दाखिल किए जाने के मामले में विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से लागू योजनाओं पर प्रभावी तौर पर क्रियान्वयन का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि विधिक सेवा प्राधिकरण को इस पर काम करने की जरूरत है। कोर्ट ने गंभीर अपराधों में जेल में बंद कैदियों को कानूनी सहायता मुहैया कराने के निर्देश दिए। यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने जौनपुर के अनिल गौर उर्फ सोनू की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिया है।
कोर्ट ने गंभीर अपराधों में विचाराधीन मामलों में जेल में बंद जरूरतमंद कैदियों को कानूनी सहायता मुहैया कराने के लिए एक व्यापक कार्यक्रम बनाने को भी कहा है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे बंदियों को चिह्नित किया जाए जो ट्रायल कोर्ट से जमानत खारिज होने के बाद हाईकोर्ट में जमानत के लिए अर्जी नहीं दे पाए या जो हाईकोर्ट में पहली जमानत अर्जी खारिज होने के बाद दूसरी जमानत अर्जी नहीं दाखिल कर पाए।
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