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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकारी वकीलों से केस की जानकारी मांगने या जवाब दाखिल करने का समय दिए जाने के बाद भी अधिकारियों की तरफ से कोई प्रत्युत्तर नहीं मिलता। सरकारी वकील केवल आश्वासन देते हैं। कोर्ट ने प्रदेश सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता को इस मामले की स्वयं जांच कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है और याचिका को सुनवाई के लिए 11 अक्तूबर को रिपोर्ट के साथ पेश करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति एसडी सिंह ने अंकिता श्रीवास्तव की याचिका पर दिया है।
ऐसे ही एक मामले में जौनपुर के जिला विद्यालय निरीक्षक नरेंद्र देव तलब किए गए तो जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा। अभी तक जवाब दाखिल न करने के बाबत पूछने पर बताया कि उन्होंने अभी दो जुलाई को ज्वाइन किया है। इस केस से संबंधित उन्हें कोर्ट आदेश की उनके स्टाफ द्वारा कोई जानकारी नहीं दी गई। स्टाफ ने भी बताया कि उन्हें केस से संबंधित कोई मेल नहीं मिला और न ही मुख्य स्थायी अधिवक्ता कार्यालय से सीधे कोई जानकारी दी गई।
इस पर कोर्ट ने सरकारी वकील से पूछा कि पत्र किस माध्यम से भेजा गया है तो बताया गया कि चार मई 22 और एक जुलाई 22 को जिलाधिकारी जौनपुर कार्यालय को फैक्स किया गया है। कोर्ट ने कहा कि अक्सर ऐसा देखा जा रहा विभाग समय से जानकारी या जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं करते। सरकारी वकील द्वारा कोरा आश्वासन ही मिलता है।
इस पर कोर्ट ने मुख्य स्थायी अधिवक्ता को अपने कार्यालय व्यवस्था की जांच कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया और कहा कि वह जिलाधिकारी जौनपुर व डीआईओएस कार्यालय जौनपुर की भी जांच कर सकते हैं। यह जवाबदेही तय करने के लिए जरूरी भी है ताकि नियत समय के भीतर जानकारी या जवाबी हलफनामा आ सके।
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