ुवक की हत्या की तीन को आजीवन कारावास

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उन्नाव। सदर कोतवाली क्षेत्र में नौ साल पहले हुई युवक की हत्या के मामले में तीन आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। साथ ही 46-46 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया गया है।
आवास विकास मोहल्ला निवासी संजय सिंह का भाई मोनू उर्फ शिवेंद्र 23 सितंबर 2013 को लापता हुआ था। 24 सितंबर 2013 को भाई ने गुमशुदगी दर्ज कराई।
परिजन तलाश कर रहे थे। इस बीच पीडी नगर मोहल्ला निवासी चचेरे भाई रिंकू और धनंजय को 25 सितंबर को गदनखेड़ा बाईपास के पास देखे जाने की बात पता चली।
पुलिस ने जांच की तो पता चला अजगैन कोतवाली लहिया गांव निवासी दीपक सिंह, सदर कोतवाली के विशुनपुर के सूरजपाल और अजगैन के मुर्तजानगर निवासी मंगल लोध ने उसकी हत्या कर दी।
पूछताछ में बताया कि मोनू एक प्लॉट खरीदना चहता था। दीपक और सूरजपाल ने बताया कि दोनों ने एक फर्जी महिला को खड़ा कर प्लॉट का बैनामा मोनू के नाम करा दिया।
कुछ दिन बाद दाखिल खारिज में आपत्ति लगने पर मोनू ने रजिस्ट्री करने वाली महिला को बयान के लिए बुलाने या उसके छह लाख रुपये वापस लौटाने को कहा।
काफी दिनों तक टाल टोलटोल करने के बाद, 23 सितंबर को तीनों ने मिलकर उसकी हत्या कर दी। मुकदमे की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश के न्यायालय में चल रही थी।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता यशवंत सिंह और बचाव पक्ष के वकील की दलील सुनने के बाद न्यायाधीश आलोक शर्मा ने तीनों को दोषी पाया। उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

यह भी पढ़ें -  न्याय की आस में जिले से राजधानी तक का सफर और फिर आत्मदाह का प्रयास..............

उन्नाव। सदर कोतवाली क्षेत्र में नौ साल पहले हुई युवक की हत्या के मामले में तीन आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। साथ ही 46-46 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया गया है।

आवास विकास मोहल्ला निवासी संजय सिंह का भाई मोनू उर्फ शिवेंद्र 23 सितंबर 2013 को लापता हुआ था। 24 सितंबर 2013 को भाई ने गुमशुदगी दर्ज कराई।

परिजन तलाश कर रहे थे। इस बीच पीडी नगर मोहल्ला निवासी चचेरे भाई रिंकू और धनंजय को 25 सितंबर को गदनखेड़ा बाईपास के पास देखे जाने की बात पता चली।

पुलिस ने जांच की तो पता चला अजगैन कोतवाली लहिया गांव निवासी दीपक सिंह, सदर कोतवाली के विशुनपुर के सूरजपाल और अजगैन के मुर्तजानगर निवासी मंगल लोध ने उसकी हत्या कर दी।

पूछताछ में बताया कि मोनू एक प्लॉट खरीदना चहता था। दीपक और सूरजपाल ने बताया कि दोनों ने एक फर्जी महिला को खड़ा कर प्लॉट का बैनामा मोनू के नाम करा दिया।

कुछ दिन बाद दाखिल खारिज में आपत्ति लगने पर मोनू ने रजिस्ट्री करने वाली महिला को बयान के लिए बुलाने या उसके छह लाख रुपये वापस लौटाने को कहा।

काफी दिनों तक टाल टोलटोल करने के बाद, 23 सितंबर को तीनों ने मिलकर उसकी हत्या कर दी। मुकदमे की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश के न्यायालय में चल रही थी।

सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता यशवंत सिंह और बचाव पक्ष के वकील की दलील सुनने के बाद न्यायाधीश आलोक शर्मा ने तीनों को दोषी पाया। उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

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