वेट लैंड दिवस मनाया

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नवाबगंज पक्षी विहार में पसरा सन्नाटा। संवाद
– फोटो : UNNAO

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नवाबगंज। शहीद चंद्रशेखर आजाद पक्षी विहार में सामाजिक वानिकी वन प्रभाग व पक्षी विहार रेंज ने बुधवार को विश्व वेट लैंड दिवस मनाया। इसमें सोहरामऊ में संचालित पंचशिला इंटरनेशनल स्कूल के शिक्षकों के साथ ग्रामीण शामिल हुए। वन अधिकारियों ने बताया कि वेट लैंड के माध्यम से प्रवासी पक्षियों के लिए प्राकृतिक आवास को संरक्षित किया जाता है।
प्रभागीय वनाधिकारी ईशा तिवारी ने दूरबीन से प्रवासी पक्षियों को देखा। उन्होंने बताया कि वेट लैंड के अंतर्गत वन क्षेत्र में आने वाले प्रवासी पक्षियों को किसी तरह की परेशानी न हो, इसका ध्यान रखा जाता है।
उप प्रभागीय वनाधिकारी आरएन चौधरी ने बताया कि प्रवासी पक्षी वातावरण को संतुलित करने में भी सहायक होते हैं। उप प्रभागीय वनाधिकारी दीपक श्रीवास्तव ने बताया कि जल ही जीवन है और वेट लैंड इसकी जीवन समर्थित प्रणाली है। जो जल चक्र को सुनिश्चित करती है। वेट लैंड जल को साफ और तट रेखाओं की रक्षा करते है। इस दौरान सुरेश बहादुर सिंह, शैलेंद्र कुमार पांडेय, जितेंद्र पांडेय, साधना सिंह, कुलदीप, देशपाल सिंह, मनोज कुमार मौजूद रहे।
इन पक्षियों की पहचान कराई
क्षेत्रीय वन अधिकारी प्रदीप कुमार सिंह व विवेक कुमार वर्मा ने गेडवाल, यूरेशियन कूट, कॉमन पोचार्ड, जैकाना, पर्पल सूर हेन, पर्पल टेरान आदि पक्षियों की पहचान कराई।
पक्षियों का कलरव पर सन्नाटे में पक्षी विहार
नवाबगंज। पक्षी विहार में पक्षियों का कलरव तो खूब सुनाई पड़ रहा है लेकिन ठंड के कारण पर्यटकों के न पहुंचने से सन्नाटा छाया है।
पक्षी विहार में वर्तमान में यूरेशियन कूट माइग्रेटिव पक्षियों में गुडवाल प्रजाति के 630, विजन के 106, नार्दर्न साल्वर के 246, नार्दर्न पिनटिल के 470, कॉमनटील के 330, कॉमन पोचार्ड के 170, पेरूजिनस पोचार्ड के 148, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड प्रजाति के करीब 340 पक्षी हैं। इनके अलावा ओपनबिल, कार्मोरेट, पर्पल मूरहेन, जैकाना प्रजाति के लगभग पांच हजार से अधिक भारतीय मूल के पक्षियों का डेरा है। यह पक्षी हिमालय के क्षेत्रों में प्रवास करते हैं। जब हिमालय का सारा क्षेत्र बर्फ से घिर जाता हैं तो भोजन पानी की पूर्ति के लिए पक्षी झुंड में तीन माह तक के लिए भारत के विभिन्न जलीय क्षेत्रों में गंगा के पानी व झील क्षेत्र में प्रवास करते हैं।
इसको देखते हुए पक्षी विहार में भी इन पक्षियों के विभिन्न प्रकार के भोजन को झील के पानी में तैयार किया जाता है। भोजन में हरी, काली, पीली काई के अलावा पानी में तैयार होने वाले विभिन्न कीट पतंगे शामिल होते हैं। पक्षी प्रेमियों के लिए वाच टावर, व्यू सेट, नेचर टेल, हाइड आउट हट की व्यवस्था की गई है। हालांकि लगातार पड़ रही ठंड से पर्यटकों की संख्या में कमी आई है।
राजस्व घटा
पक्षी विहार के रिकार्ड रजिस्टर में दर्ज आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2020 से मार्च 2021 तक 9217 पर्यटक पहुंचे थे। विभाग को लगभग 4.5 लाख का राजस्व प्राप्त हुआ था। वहीं अप्रैल 2021 से जनवरी 2022 तक भारतीय पर्यटकों की संख्या 8358 व विदेशी पर्यटकों की संख्या तीन ही रही। जिनसे मात्र ढाई लाख का राजस्व ही मिल पाया है। वाइल्ड लाइफ के रेंजर विवेक वर्मा ने बताया कि अभी तक पक्षी विहार आने वाले पर्यटकों की संख्या काफी कम रही है।

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नवाबगंज। शहीद चंद्रशेखर आजाद पक्षी विहार में सामाजिक वानिकी वन प्रभाग व पक्षी विहार रेंज ने बुधवार को विश्व वेट लैंड दिवस मनाया। इसमें सोहरामऊ में संचालित पंचशिला इंटरनेशनल स्कूल के शिक्षकों के साथ ग्रामीण शामिल हुए। वन अधिकारियों ने बताया कि वेट लैंड के माध्यम से प्रवासी पक्षियों के लिए प्राकृतिक आवास को संरक्षित किया जाता है।

प्रभागीय वनाधिकारी ईशा तिवारी ने दूरबीन से प्रवासी पक्षियों को देखा। उन्होंने बताया कि वेट लैंड के अंतर्गत वन क्षेत्र में आने वाले प्रवासी पक्षियों को किसी तरह की परेशानी न हो, इसका ध्यान रखा जाता है।

उप प्रभागीय वनाधिकारी आरएन चौधरी ने बताया कि प्रवासी पक्षी वातावरण को संतुलित करने में भी सहायक होते हैं। उप प्रभागीय वनाधिकारी दीपक श्रीवास्तव ने बताया कि जल ही जीवन है और वेट लैंड इसकी जीवन समर्थित प्रणाली है। जो जल चक्र को सुनिश्चित करती है। वेट लैंड जल को साफ और तट रेखाओं की रक्षा करते है। इस दौरान सुरेश बहादुर सिंह, शैलेंद्र कुमार पांडेय, जितेंद्र पांडेय, साधना सिंह, कुलदीप, देशपाल सिंह, मनोज कुमार मौजूद रहे।

इन पक्षियों की पहचान कराई

क्षेत्रीय वन अधिकारी प्रदीप कुमार सिंह व विवेक कुमार वर्मा ने गेडवाल, यूरेशियन कूट, कॉमन पोचार्ड, जैकाना, पर्पल सूर हेन, पर्पल टेरान आदि पक्षियों की पहचान कराई।

पक्षियों का कलरव पर सन्नाटे में पक्षी विहार

नवाबगंज। पक्षी विहार में पक्षियों का कलरव तो खूब सुनाई पड़ रहा है लेकिन ठंड के कारण पर्यटकों के न पहुंचने से सन्नाटा छाया है।

पक्षी विहार में वर्तमान में यूरेशियन कूट माइग्रेटिव पक्षियों में गुडवाल प्रजाति के 630, विजन के 106, नार्दर्न साल्वर के 246, नार्दर्न पिनटिल के 470, कॉमनटील के 330, कॉमन पोचार्ड के 170, पेरूजिनस पोचार्ड के 148, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड प्रजाति के करीब 340 पक्षी हैं। इनके अलावा ओपनबिल, कार्मोरेट, पर्पल मूरहेन, जैकाना प्रजाति के लगभग पांच हजार से अधिक भारतीय मूल के पक्षियों का डेरा है। यह पक्षी हिमालय के क्षेत्रों में प्रवास करते हैं। जब हिमालय का सारा क्षेत्र बर्फ से घिर जाता हैं तो भोजन पानी की पूर्ति के लिए पक्षी झुंड में तीन माह तक के लिए भारत के विभिन्न जलीय क्षेत्रों में गंगा के पानी व झील क्षेत्र में प्रवास करते हैं।

इसको देखते हुए पक्षी विहार में भी इन पक्षियों के विभिन्न प्रकार के भोजन को झील के पानी में तैयार किया जाता है। भोजन में हरी, काली, पीली काई के अलावा पानी में तैयार होने वाले विभिन्न कीट पतंगे शामिल होते हैं। पक्षी प्रेमियों के लिए वाच टावर, व्यू सेट, नेचर टेल, हाइड आउट हट की व्यवस्था की गई है। हालांकि लगातार पड़ रही ठंड से पर्यटकों की संख्या में कमी आई है।

राजस्व घटा

पक्षी विहार के रिकार्ड रजिस्टर में दर्ज आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2020 से मार्च 2021 तक 9217 पर्यटक पहुंचे थे। विभाग को लगभग 4.5 लाख का राजस्व प्राप्त हुआ था। वहीं अप्रैल 2021 से जनवरी 2022 तक भारतीय पर्यटकों की संख्या 8358 व विदेशी पर्यटकों की संख्या तीन ही रही। जिनसे मात्र ढाई लाख का राजस्व ही मिल पाया है। वाइल्ड लाइफ के रेंजर विवेक वर्मा ने बताया कि अभी तक पक्षी विहार आने वाले पर्यटकों की संख्या काफी कम रही है।

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