पराली जलाने पर अब कार्रवाई केवल एक बार अर्थदंड तक ही सीमित नहीं रहेगी। अगर तीन बार एक ही किसान द्वारा पराली जलाने का मामला संज्ञान में आता है तो संबंधित किसान से सरकारी अनुदान छिन जाएगा। शासन ने पूर्व में ही ये आदेश जारी कर दिया था। वहीं अब मैनपुरी जिला प्रशासन पराली जलाने को नियंत्रित करने के लिए सख्ती से इसे लागू करेगा।
धान की फसल की कटाई के बाद अवशेष के रूप में बचने वाली पराली एक बड़ी समस्या बन चुकी है। इसके जलाने से पूरा देश ही आसमान में छाए स्मॉग की समस्या को कई बार झेल चुका है। इसी के चलते अब पराली जलाने को प्रतिबंधित किया जा चुका है। इसके बाद भी किसान पराली जला रहे हैं। पूर्ण रूप से पराली जलाने से रोकने के लिए सरकार कठोर कदम उठा रही है। इसी के तहत अब केवल अर्थदंड ही नहीं बल्कि किसानों को सरकारी अनुदान से भी वंचित किया जाएगा।
किसानों को मिलता है यह अनुदान
दअरसल कृषि विभाग द्वारा किसानों को यूरिया, डीएपी समेत अन्य उर्वरकों और सभी प्रकार के बीजों पर अनुदान दिया जाता है। इससे किसानों को बड़ा लाभ मिलता है। लेकिन अब अगर कोई भी किसान तीन बार पराली जलाते हुए पकड़ा जाता है तो उस पर अर्थदंड लगाने के साथ ही अनुदान से भी वंचित कर दिया जाएगा।
इससे किसानों को भविष्य में बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसके लिए ये जरूरी नहीं है कि तीनों घटनाएं एक ही वर्ष की हों। अगर बीते सालों में भी कोई किसान पराली जलाते हुए पकड़ा गया है तो वह संख्या भी शामिल की जाएगी। ऐसे में किसान अगर सरकारी योजनाओं पर मिलने वाला अनुदान जारी रखना चाहते हैं तो पराली न जलाएं।
ढाई हजार से 15 हजार तक है जुर्माना
धान की फसल से अवशेष के रूप में बचने वाली पराली जलाने पर अर्थदंड भी देना होगा। शासन के आदेश के अनुसार दो एकड़ तक किसान पर ढाई हजार रुपये, दो एकड़ से पांच एकड़ तक पांच हजार रुपये और पांच एकड़ से अधिक क्षेत्रफल होने पर 15 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। इसके साथ ही एफआईआर किए जाने का भी प्रावधान है।
उर्वरा शक्ति भी होती है प्रभावित
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार पराली जलाकर उसका निस्तारण कर कुछ देर के लिए किसानों को फायदेमंद लगता है, लेकिन इसके नुकसान बहुत अधिक हैं। कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विकास रंजन चौधरी ने बताया कि खेत में पराली जलाने से मिट्टी जलने के साथ ही उसमें मौजूद मित्र कीट और सूक्ष्म पोषक तत्व भी जलकर नष्ट हो जाते हैं। इससे उत्पादन प्रभावित होता है।
कृषि वैज्ञानिक डॉ. विकास रंजन चौधरी ने बताया कि पराली के निस्तारण के लिए आज कई मशीनें उपलब्ध हैं। मल्चर, चॉपर आदि के माध्यम से किसान पराली को मिट्टी में ही मिला सकता है। इसके साथ ही खेतों की सिंचाई करने के बाद पराली पर यूरिया का स्प्रे या फिर वेस्ट डिकंपोजर का स्प्रे करके भी पराली का निस्तारण किया जा सकता है।
जिला कृषि अधिकारी डॉ. सूर्यप्रताप सिंह ने कहा कि शासन का सख्त आदेश है कि पराली जलाने पर अर्थदंड लगाया जाए। साथ ही तीन बार पराली जलाने पर सभी विभागीय योजनाओं पर मिलने वाले अनुदान से वंचित कर दिया जाएगा। किसान जागरूक हों और पराली न जलाएं।
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पराली जलाने पर अब कार्रवाई केवल एक बार अर्थदंड तक ही सीमित नहीं रहेगी। अगर तीन बार एक ही किसान द्वारा पराली जलाने का मामला संज्ञान में आता है तो संबंधित किसान से सरकारी अनुदान छिन जाएगा। शासन ने पूर्व में ही ये आदेश जारी कर दिया था। वहीं अब मैनपुरी जिला प्रशासन पराली जलाने को नियंत्रित करने के लिए सख्ती से इसे लागू करेगा।
धान की फसल की कटाई के बाद अवशेष के रूप में बचने वाली पराली एक बड़ी समस्या बन चुकी है। इसके जलाने से पूरा देश ही आसमान में छाए स्मॉग की समस्या को कई बार झेल चुका है। इसी के चलते अब पराली जलाने को प्रतिबंधित किया जा चुका है। इसके बाद भी किसान पराली जला रहे हैं। पूर्ण रूप से पराली जलाने से रोकने के लिए सरकार कठोर कदम उठा रही है। इसी के तहत अब केवल अर्थदंड ही नहीं बल्कि किसानों को सरकारी अनुदान से भी वंचित किया जाएगा।
किसानों को मिलता है यह अनुदान
दअरसल कृषि विभाग द्वारा किसानों को यूरिया, डीएपी समेत अन्य उर्वरकों और सभी प्रकार के बीजों पर अनुदान दिया जाता है। इससे किसानों को बड़ा लाभ मिलता है। लेकिन अब अगर कोई भी किसान तीन बार पराली जलाते हुए पकड़ा जाता है तो उस पर अर्थदंड लगाने के साथ ही अनुदान से भी वंचित कर दिया जाएगा।