Vrindavan: प्राकट्योत्सव पर ठाकुर बांकेबिहारी को अर्पित किया जाएगा 21 किलो का केक, पंचमेवा से होगा तैयार

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मथुरा के वृंदावन में ठाकुर श्रीबांकेबिहारी महाराज का प्राकट्योत्सव 28 नवंबर सोमवार को मनाया जाएगा। आयोजन को भव्य बनाने के लिए तैयारियों चल रही हैं। आराध्य के प्रादुर्भाव महोत्सव में शामिल होने के लिए भक्त वृंदावन पहुंचना शुरू हो गए हैं। मंदिर के सेवायत एवं इतिहासकार आचार्य प्रहलाद वल्लभ गोस्वामी ने बताया कि बिहार पंचमी पर प्रात:काल निधिवनराज मंदिर स्थित बिहारीजी के प्राकट्य स्थल पर आयोजन होगा। स्वामी हरिदास की बधाई शोभायात्रा नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए दोपहर में बिहारीजी मंदिर पहुंचेगी। जहां पीत वस्त्र और आभूषण से सजे-संवरे बांकेबिहारीजी का मंगल टीका, भोग, राग, आरती, बधाई गायन व प्रसाद वितरण किया जाएगा। दोपहर को राजभोग में पंचमेवा से बना विशेष केक अर्पित किया जाएगा।  प्राकट्योत्सव पर ठाकुर श्रीबांकेबिहारी मंदिर और निधिवनराज में अनेक धार्मिक आयोजन होंगे। 

 

मंदिर के सेवायत प्रणव गोस्वामी ने बताया कि ठाकुरजी के लिए आगरा के कारीगर जरी की विशेष पोशाक तैयार कर रहे हैं। ये पोशाक बेशकीमती और मयूर की झलक वाली होगी। उन्होंने बताया कि प्राकट्योत्सव पर आराध्य को सुबह बालभोग में पंचमेवायुक्त हलवा, दोपहर को राजभोग में व्यंजनों के साथ 21 किलो का केक अर्पित होगा। केक मावा से तैयार होगा और उसमें पंचमेवा डाले जाएंगे।

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सेवायत आचार्य प्रहलाद वल्लभ गोस्वामी ने बताया कि करीब 479 वर्ष पूर्व मार्गशीर्ष (अगहन) माह की शुक्लपक्ष पंचमी को निधिवनराज में संगीतज्ञ हरिदास की संगीत साधना से प्रकट हुईं श्यामश्यामा की युगल जोड़ी के समन्वित स्वरूप को ही ठाकुर श्रीबांकेबिहारी के नाम से पुकारते हैं। बिहार पंचमी पर ठाकुर बांकेबिहारी का प्राकट्योत्सव मनाया जाता है। 

 

 प्रहलाद वल्लभ गोस्वामी ने बताया कि लगभग सात दशक पहले बिहार पंचमी का परंपरागत महोत्सव साधारण तरीके से मनाया जाता था। वर्ष 1955 से 58 तक मंदिर की व्यवस्थाएं संभालने वाली प्रबंध कमेटी ने गोस्वामी छबीले वल्लभाचार्य के संयोजन में बांकेबिहारी समारोह परिषद का गठन किया। इसके बाद से महोत्सव में शोभायात्रा निकालने की परंपरा शुरू हुई। 

धीरे-धीरे विस्तार पाने वाले बिहार पंचमी महोत्सव में भक्तों के साथ बेरीवाला परिवार भी ख़ासा योगदान देता है। पर्व पर पीली पोलिस से सजे मंदिर में पीत पोशाक सहित बहुमूल्य आभूषण धारण करने वाले बिहारीजी को केसरिया पंच मेवायुक्त बादाम हलुआ और मेवा के लड्डुओं का विशेष भोग लगाया जाता है। 

 



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