बिकरू कांड: विकास दुबे के साथी प्रभात के एनकाउंटर मामले में NHRC ने चार हफ्ते का समय दिया

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तस्वीर में सफेद घेरे में विकास दुबे जो एक मिठाई की दुकान के बाहर खड़ा है, विकास का साथी प्रभात

तस्वीर में सफेद घेरे में विकास दुबे जो एक मिठाई की दुकान के बाहर खड़ा है, विकास का साथी प्रभात
– फोटो : अमर उजाला

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कानपुर के बिकरू कांड में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए गैंगस्टर विकास दुबे के साथी प्रभात मिश्रा के एनकाउंटर प्रकरण में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने यूपी के पुलिस प्रशासन की रिपोर्ट की जांच और परीक्षण का आदेश डायरेक्टर जनरल इन्वेस्टिगेशन को दिया है। वहीं, चार हफ्ते में रिपोर्ट भी मांगी है।
वाराणसी जिला न्यायालय के अधिवक्ता अंशुमान त्रिपाठी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में इसकी शिकायत दर्ज कराई थी। अधिवक्ता अंशुमान त्रिपाठी के अनुसार विकास दुबे की गैंग का अपराधी बताकर प्रभात मिश्रा नामक 16 वर्षीय नाबालिग का एनकाउंटर कानपुर में किया गया था। पुलिस का कहना था कि प्रभात हथकड़ी पहन कर भाग रहा था। जबकि, प्रभात को पुलिस ने फरीदाबाद से गिरफ्तार किया था। 
अधिवक्ता अंशुमान त्रिपाठी के अनुसार, पुलिस के द्वारा डीके बसु और जोगिंदर कुमार के केस में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन नहीं किया गया था। एडवोकेट की शिकायत पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश के डीजीपी, कानपुर के डीएम-एसएसपी से पोस्टमार्टम रिपोर्ट, बैलिस्टिक रिपोर्ट और इंक्वेस्ट रिपोर्ट तलब की थी। आयोग के आदेश के क्रम में उतर प्रदेश सरकार द्वारा सभी रिपोर्ट भेजी गई थी। अधिवक्ता अंशुमान त्रिपाठी ने बताया कि मानवाधिकार आयोग ने सभी रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद पूरे एनकाउंटर की जांच और परीक्षण अपने डायरेक्टर जनरल इन्वेस्टिगेशन से कराने का आदेश पारित किया है। साथ ही, डायरेक्टर जनरल इन्वेस्टिगेशन से चार हफ्तों में रिपोर्ट मांगी है।

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कानपुर के बिकरू कांड में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए गैंगस्टर विकास दुबे के साथी प्रभात मिश्रा के एनकाउंटर प्रकरण में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने यूपी के पुलिस प्रशासन की रिपोर्ट की जांच और परीक्षण का आदेश डायरेक्टर जनरल इन्वेस्टिगेशन को दिया है। वहीं, चार हफ्ते में रिपोर्ट भी मांगी है।

वाराणसी जिला न्यायालय के अधिवक्ता अंशुमान त्रिपाठी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में इसकी शिकायत दर्ज कराई थी। अधिवक्ता अंशुमान त्रिपाठी के अनुसार विकास दुबे की गैंग का अपराधी बताकर प्रभात मिश्रा नामक 16 वर्षीय नाबालिग का एनकाउंटर कानपुर में किया गया था। पुलिस का कहना था कि प्रभात हथकड़ी पहन कर भाग रहा था। जबकि, प्रभात को पुलिस ने फरीदाबाद से गिरफ्तार किया था। 

अधिवक्ता अंशुमान त्रिपाठी के अनुसार, पुलिस के द्वारा डीके बसु और जोगिंदर कुमार के केस में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन नहीं किया गया था। एडवोकेट की शिकायत पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश के डीजीपी, कानपुर के डीएम-एसएसपी से पोस्टमार्टम रिपोर्ट, बैलिस्टिक रिपोर्ट और इंक्वेस्ट रिपोर्ट तलब की थी। आयोग के आदेश के क्रम में उतर प्रदेश सरकार द्वारा सभी रिपोर्ट भेजी गई थी। अधिवक्ता अंशुमान त्रिपाठी ने बताया कि मानवाधिकार आयोग ने सभी रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद पूरे एनकाउंटर की जांच और परीक्षण अपने डायरेक्टर जनरल इन्वेस्टिगेशन से कराने का आदेश पारित किया है। साथ ही, डायरेक्टर जनरल इन्वेस्टिगेशन से चार हफ्तों में रिपोर्ट मांगी है।



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