[ad_1]
बीघापुर बाबा गोदावलेश्वर धाम में श्रीमद्भागवत कथा सुनाते आचार्य श्रीदेव जी। संवाद
– फोटो : UNNAO
ख़बर सुनें
बीघापुर। बाबा गोदावलेश्वर धाम में चल रही भागवत कथा के तीसरे दिन शनिवार को आचार्य देव महाराज ने शिव विवाह का प्रसंग सुनाया। कहा कि सत्य ही शिव और शिव ही सुंदर है।
आचार्य देव महाराज ने कहा कि शुकदेव महाराज ने परीक्षित को शिव विवाह का प्रसंग सुनाया था। बताया कि पार्वती जी का जन्म पहले दक्ष के यहां सती के रूप में हुआ था। दक्ष ने अपने यज्ञ में शिव व सती को आमंत्रित नहीं किया। इस पर सती ने पिता के यज्ञ में जाने की लालसा शिवजी से कही। शिव के मना करने के बावजूद भी सती पिता के यज्ञ में गई लेकिन वहां शिवजी का यज्ञ भाग न देख कर नाराज हुई और योग अग्नि से अपने शरीर को त्याग दिया।
आचार्य ने कहा कि जब व्यक्ति को शिवत्व का बोध होने पर ही जीवन की सार्थकता सिद्ध होती है। शिव ने समाज के कल्याण के लिए समुद्र मंथन से निकले हलाहल विष को पीकर लोक का कल्याण किया। समाज के लिए जो सुख रूपी अमृत देता है वह शिव है। इस दौरान मंगल प्रसाद मिश्र, रजनी मिश्र, पुल्ली महाराज, एमएन शुक्ल, धीरेंद्र बाजपेयी, कालिका प्रसाद यादव व राम प्रसाद पटेल मौजूद रहे।
बीघापुर। बाबा गोदावलेश्वर धाम में चल रही भागवत कथा के तीसरे दिन शनिवार को आचार्य देव महाराज ने शिव विवाह का प्रसंग सुनाया। कहा कि सत्य ही शिव और शिव ही सुंदर है।
आचार्य देव महाराज ने कहा कि शुकदेव महाराज ने परीक्षित को शिव विवाह का प्रसंग सुनाया था। बताया कि पार्वती जी का जन्म पहले दक्ष के यहां सती के रूप में हुआ था। दक्ष ने अपने यज्ञ में शिव व सती को आमंत्रित नहीं किया। इस पर सती ने पिता के यज्ञ में जाने की लालसा शिवजी से कही। शिव के मना करने के बावजूद भी सती पिता के यज्ञ में गई लेकिन वहां शिवजी का यज्ञ भाग न देख कर नाराज हुई और योग अग्नि से अपने शरीर को त्याग दिया।
आचार्य ने कहा कि जब व्यक्ति को शिवत्व का बोध होने पर ही जीवन की सार्थकता सिद्ध होती है। शिव ने समाज के कल्याण के लिए समुद्र मंथन से निकले हलाहल विष को पीकर लोक का कल्याण किया। समाज के लिए जो सुख रूपी अमृत देता है वह शिव है। इस दौरान मंगल प्रसाद मिश्र, रजनी मिश्र, पुल्ली महाराज, एमएन शुक्ल, धीरेंद्र बाजपेयी, कालिका प्रसाद यादव व राम प्रसाद पटेल मौजूद रहे।
[ad_2]
Source link