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उन्नाव। नौ साल पहले रंजिश के चलते पिता के सामने बेटे की गोली मारकर हत्या करने वाले दो सगे भाइयों को न्यायालय ने दोषी पाया है। शुक्रवार को अंतिम सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और 50 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया।
गंगाघाट कोतवाली क्षेत्र के हाजीपुर गांव निवासी मुकेश कुमार ने 30 मई 2013 को गंगाघाट कोतवाली में बेटे अंकित की हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। मुकेश के मुताबिक 29 मई 2013 को रात करीब 10 बजे बाइक से पुत्र अंकित के साथ कानपुर रिश्तेदारी में जा रहा था।
कनिकामऊ गांव के पास स्थित पीपल के पेड़ के नीचे पहुंचे सामने से बाइक की रोशनी में गांव के दो व्यक्ति विक्रम सिंह उर्फ मोर सिंह और उसका भाई शिवबालक सिंह दिखे। दोनों बाइक रोक ली और गाली गलौज करने लगे। गाली देने से मना करने पर शिवबालक सिंह ने भाई विक्रम सिंह से गोली मारने को कहा।
विक्रम ने तमंचा से बेटे अंकित की गोली मारकर हत्या कर दी और भाग निकले। रिपोर्ट दर्ज करने के बाद पुलिस ने नामजद आरोपी दोनो भाइयों को जेल भेजा था, बाद में दोनों को जमानत मिल गई थी। मुकदमे के विवेचक तत्कालीन थानाध्यक्ष अनूप सिंह ने आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया। शुक्रवार को मुकदमे की अंतिम सुनवाई अपर जिला जज प्रथम की कोर्ट में हुई।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता अजय कुशवाहा की तरफ से पेश की गई दलीलों को न्याय संगत ठहराते हुए न्यायाधीश अल्पना सक्सेना ने दोनों भाईयों हत्या का दोषी पाया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
उन्नाव। नौ साल पहले रंजिश के चलते पिता के सामने बेटे की गोली मारकर हत्या करने वाले दो सगे भाइयों को न्यायालय ने दोषी पाया है। शुक्रवार को अंतिम सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और 50 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया।
गंगाघाट कोतवाली क्षेत्र के हाजीपुर गांव निवासी मुकेश कुमार ने 30 मई 2013 को गंगाघाट कोतवाली में बेटे अंकित की हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। मुकेश के मुताबिक 29 मई 2013 को रात करीब 10 बजे बाइक से पुत्र अंकित के साथ कानपुर रिश्तेदारी में जा रहा था।
कनिकामऊ गांव के पास स्थित पीपल के पेड़ के नीचे पहुंचे सामने से बाइक की रोशनी में गांव के दो व्यक्ति विक्रम सिंह उर्फ मोर सिंह और उसका भाई शिवबालक सिंह दिखे। दोनों बाइक रोक ली और गाली गलौज करने लगे। गाली देने से मना करने पर शिवबालक सिंह ने भाई विक्रम सिंह से गोली मारने को कहा।
विक्रम ने तमंचा से बेटे अंकित की गोली मारकर हत्या कर दी और भाग निकले। रिपोर्ट दर्ज करने के बाद पुलिस ने नामजद आरोपी दोनो भाइयों को जेल भेजा था, बाद में दोनों को जमानत मिल गई थी। मुकदमे के विवेचक तत्कालीन थानाध्यक्ष अनूप सिंह ने आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया। शुक्रवार को मुकदमे की अंतिम सुनवाई अपर जिला जज प्रथम की कोर्ट में हुई।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता अजय कुशवाहा की तरफ से पेश की गई दलीलों को न्याय संगत ठहराते हुए न्यायाधीश अल्पना सक्सेना ने दोनों भाईयों हत्या का दोषी पाया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
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