फसल बीमा के दायरे से 70 फीसदी किसान बाहर

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उन्नाव। पिछले माह हुई ओलावृष्टि से फसलों के नुकसान का आकलन करने के लिए कराए जा रहे सर्वे में 70 फीसदी किसान बाहर हो गए हैं। इससे मुआवजे की उम्मीद लगाए किसानों को तगड़ा झटका लगा है। अब इन किसानों को नुकसान का मुआवजा नहीं मिल सकेगा।
पिछले माह 8 जनवरी की रात हुई ओलावृष्टि से सफीपुर व बांगरमऊ तहसील क्षेत्र के कई गांवों में सैकड़ों किसानों की आलू, सरसों, गेहूं, टमाटर व गोधी आदि फसलें नष्ट हो र्गई थी। तहसील व बीमा कंपनी द्वारा किए गए सर्वे में प्रारंभिक स्तर पर अकेले फतेहपुर चौरासी के सूसूमऊ, सरहा सकतपुर, लवानी, तालिबपुर रहली, तमरिया कला, तमरिया खुर्द, बूचागाड़ा, ख्वाजगीपुर पहलवान, हयासपुर, जमरुद्दीपुर आदि गांवों में फसलों के नष्ट होने की पुष्टि हुई थी। इसके अलावा बांगरमऊ के मुस्तफाबाद, शादीपुर में भी किसानों को नुकसान पहुंचने की जानकारी सामने आई थी।
बीमा कंपनी यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस के पास फसल नुकसान की 347 शिकायतें पहुंची थी। कंपनी ने अपने सर्वेयरों के जरिए अब तक 325 आवेदन पत्रों की सर्वे पूरी करने का दावा किया है। इस सर्वे में जो सामने आया है उसके अनुसार मात्र 30 प्रतिशत किसान ही मुआवजे के लिए पात्र पाए गए हैं। बीमा कंपनी के सर्वेयरों के मुताबिक, 325 शिकायतों में जिन किसानों की फसलें बीमित पाई गईं, उनके खेत में बीमित फसल की जगह दूसरी उपज मिली। यानि किसानों ने बीमा गेहूं की फसल का कराया था। जबकि सर्वे में सरसों व आलू बोई मिली। इसके अलावा काफी संख्या में आवेदनकर्ता किसानों की फसल बीमित ही नहीं पाई। अब तक के सर्वे के अनुसार, 70 फीसदी किसानों के खातों में बीमित फसल के स्थान पर दूसरी फसल मिली है। इसके अनुसार, अब तक हुए सर्वे में फसल बीमा योजना से 325 में से 227 किसान बाहर हो गए हैं। पात्र मात्र 98 किसान ही बचे हैं।
क्या है प्रधानमंत्री फसल बीमा
दैवीय आपदा (तेज बारिश, बाढ़, ओलावृष्टि, सूखा आदि) के तहत हुए नुकसान पर किसानों को मुआवजे देने के उद्देश्य से मोदी सरकार ने 13 जनवरी 2016 को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की थी। फिर खरीफ सीजन 2020 में केंद्र सरकार ने फसल बीमा को स्वैच्छिक कर दिया था। योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को खरीफ फसल के लिए बीमा राशि का 2 फीसदी और रबी की फसल के 1.5 प्रतिशत प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है। किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) लेने वाले किसानों की फसलों का बीमा अपने आप हो जाता है। किसान जितना लोन लेते थे उसके आधार पर ही इंश्योरेंस कंपनी बीमा करती है। किसानों द्वारा बीमा कराए जाने के दौरान बीमित फसल की जानकारी न करने का खामियाजा उठाना पड़ा है।
अब तक 347 शिकायतों में 325 का सर्वे पूरा कर लिया गया है। अब तक की रिपोर्ट में 70 प्रतिशत किसान मुआवजे के दायरे में नहीं आ रहे हैं। शेष 22 शिकायतों का सर्वे चल रहा है। एक-दो दिन में इसे पूरा करके रिपोर्ट कंपनी को भेजी जाएगी। उसके बाद ही मुआवजे का निर्धारण होगा।
-अरिदमन सिंह, क्षेत्रीय अधिकारी यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस बीमा कंपनी।

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उन्नाव। पिछले माह हुई ओलावृष्टि से फसलों के नुकसान का आकलन करने के लिए कराए जा रहे सर्वे में 70 फीसदी किसान बाहर हो गए हैं। इससे मुआवजे की उम्मीद लगाए किसानों को तगड़ा झटका लगा है। अब इन किसानों को नुकसान का मुआवजा नहीं मिल सकेगा।

पिछले माह 8 जनवरी की रात हुई ओलावृष्टि से सफीपुर व बांगरमऊ तहसील क्षेत्र के कई गांवों में सैकड़ों किसानों की आलू, सरसों, गेहूं, टमाटर व गोधी आदि फसलें नष्ट हो र्गई थी। तहसील व बीमा कंपनी द्वारा किए गए सर्वे में प्रारंभिक स्तर पर अकेले फतेहपुर चौरासी के सूसूमऊ, सरहा सकतपुर, लवानी, तालिबपुर रहली, तमरिया कला, तमरिया खुर्द, बूचागाड़ा, ख्वाजगीपुर पहलवान, हयासपुर, जमरुद्दीपुर आदि गांवों में फसलों के नष्ट होने की पुष्टि हुई थी। इसके अलावा बांगरमऊ के मुस्तफाबाद, शादीपुर में भी किसानों को नुकसान पहुंचने की जानकारी सामने आई थी।

बीमा कंपनी यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस के पास फसल नुकसान की 347 शिकायतें पहुंची थी। कंपनी ने अपने सर्वेयरों के जरिए अब तक 325 आवेदन पत्रों की सर्वे पूरी करने का दावा किया है। इस सर्वे में जो सामने आया है उसके अनुसार मात्र 30 प्रतिशत किसान ही मुआवजे के लिए पात्र पाए गए हैं। बीमा कंपनी के सर्वेयरों के मुताबिक, 325 शिकायतों में जिन किसानों की फसलें बीमित पाई गईं, उनके खेत में बीमित फसल की जगह दूसरी उपज मिली। यानि किसानों ने बीमा गेहूं की फसल का कराया था। जबकि सर्वे में सरसों व आलू बोई मिली। इसके अलावा काफी संख्या में आवेदनकर्ता किसानों की फसल बीमित ही नहीं पाई। अब तक के सर्वे के अनुसार, 70 फीसदी किसानों के खातों में बीमित फसल के स्थान पर दूसरी फसल मिली है। इसके अनुसार, अब तक हुए सर्वे में फसल बीमा योजना से 325 में से 227 किसान बाहर हो गए हैं। पात्र मात्र 98 किसान ही बचे हैं।

क्या है प्रधानमंत्री फसल बीमा

दैवीय आपदा (तेज बारिश, बाढ़, ओलावृष्टि, सूखा आदि) के तहत हुए नुकसान पर किसानों को मुआवजे देने के उद्देश्य से मोदी सरकार ने 13 जनवरी 2016 को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की थी। फिर खरीफ सीजन 2020 में केंद्र सरकार ने फसल बीमा को स्वैच्छिक कर दिया था। योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को खरीफ फसल के लिए बीमा राशि का 2 फीसदी और रबी की फसल के 1.5 प्रतिशत प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है। किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) लेने वाले किसानों की फसलों का बीमा अपने आप हो जाता है। किसान जितना लोन लेते थे उसके आधार पर ही इंश्योरेंस कंपनी बीमा करती है। किसानों द्वारा बीमा कराए जाने के दौरान बीमित फसल की जानकारी न करने का खामियाजा उठाना पड़ा है।

अब तक 347 शिकायतों में 325 का सर्वे पूरा कर लिया गया है। अब तक की रिपोर्ट में 70 प्रतिशत किसान मुआवजे के दायरे में नहीं आ रहे हैं। शेष 22 शिकायतों का सर्वे चल रहा है। एक-दो दिन में इसे पूरा करके रिपोर्ट कंपनी को भेजी जाएगी। उसके बाद ही मुआवजे का निर्धारण होगा।

-अरिदमन सिंह, क्षेत्रीय अधिकारी यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस बीमा कंपनी।

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