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ताजनगरी में 18 हजार से अधिक अवैध निर्माण शहर का नक्शा बिगाड़ रहे हैं। पांच हजार से अधिक मामलों में ध्वस्तीकरण के आदेश हो चुके हैं, लेकिन नतीजा सिफर है। सीलिंग और कंपाउंडिंग के नाम पर विकास प्राधिकरण में ‘खेल’ चल रहा है। मानकों को ताक पर रख इमारतें खड़ी हो रहीं हैं। लखनऊ के लेवाना होटल अग्निकांड के बाद इंजीनियर्स व अधिकारियों ने सबक नहीं लिया है।
विकास प्राधिकरण ने 2004-05 में राजस्व परिषद को भेजी रिपोर्ट में 4500 निर्माण अवैध बताए थे। 18 वर्ष बाद अब इनकी संख्या 18 हजार से अधिक है। एडीए द्वारा चिह्नित होने के बाद भी ध्वस्त नहीं हुए। इनमें होटल, गेस्ट हाउस से लेकर हॉस्पिटल, स्कूल व अपार्टमेंट शामिल हैं।
इनके अलावा शमसाबाद, फतेहाबाद, शास्त्रीपुरम, पथौली, मिढ़ाकर, सिकंदरा क्षेत्र में खेतों में अवैध कॉलोनियां विकसित हो गई हैं। 254 से अधिक अवैध कॉलोनियां एडीए ने पहले से चिह्नित कर रखी हैं। कार्रवाई के नाम पर इंजीनियर व अधिकारियों की जुगलबंदी से अवैध निर्माणों की बाढ़ आ गई है। जब कोई हादसा होता है तब अफसरों की आंखें खुलती हैं।
डूब क्षेत्र में भी हो रहा अवैध निर्माण
दिलचस्प बात यह है कि यमुना डूब क्षेत्र में एनजीटी की रोक के बावजूद अवैध निर्माणों का सिलसिला जारी है। एडीए के प्रवर्तन व सचल दल की ‘सेवा’ से धड़ल्ले से काम चल रहे हैं। पर्यावरणविद् डीके जोशी की याचिका पर 2015 में एनजीटी ने डूब क्षेत्र में नौ इमारतों को ध्वस्त करने के आदेश दिए थे, लेकिन एडीए इंजीनियर्स व अधिकारियों ने कागजों में ध्वस्तीकरण कर रिपोर्ट भेज दी, जबकि धरातल पर अवैध निर्माण बदस्तूर खड़े हुए हैं।
रहने वाले भुगत रहे खामियाजा
अवैध निर्माण व कॉलोनियों का खामियाजा उनमें रहने वाले भुगत रहे हैं। सीवर, सड़क, पेयजल, पार्क जैसी सुविधाएं नहीं हैं। बिल्डर ने मानकों को ताक पर रख विकास कार्य नहीं कराए। उधर, विकास प्राधिकरण ने बिना विकास कार्यों के निर्माणों को क्लीन चिट दे दी। 254 कॉलोनियों में 2 लाख से अधिक लोग सुविधाओं को तरस रहे हैं।
बना रहे हैं कंट्रोल प्लान
आगरा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष चर्चित गौड़ ने बताया कि अवैध निर्माण न हो इसके लिए कंट्रोल प्लान बना रहे हैं। सचल व प्रवर्तन दल से ब्लू प्रिंट मांगा जा रहा है। अवैध निर्माण नहीं होने दिए जाएंगे। सर्वे कराया जाएगा। प्रभावी कार्रवाई भी नजर आएगी।
ध्वस्त होंगे अवैध निर्माण
कमिश्निर एवं विकास प्राधिकरण के चेयरमैन अमित गुप्ता ने कहा कि अवैध बिल्डिंग व अन्य निर्माणों की रिपोर्ट मांगी है। मानक के विपरीत हुए निर्माण ध्वस्त होंगे। समीक्षा में किसी भी तरह की लापरवाही के लिए अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी।
विस्तार
ताजनगरी में 18 हजार से अधिक अवैध निर्माण शहर का नक्शा बिगाड़ रहे हैं। पांच हजार से अधिक मामलों में ध्वस्तीकरण के आदेश हो चुके हैं, लेकिन नतीजा सिफर है। सीलिंग और कंपाउंडिंग के नाम पर विकास प्राधिकरण में ‘खेल’ चल रहा है। मानकों को ताक पर रख इमारतें खड़ी हो रहीं हैं। लखनऊ के लेवाना होटल अग्निकांड के बाद इंजीनियर्स व अधिकारियों ने सबक नहीं लिया है।
विकास प्राधिकरण ने 2004-05 में राजस्व परिषद को भेजी रिपोर्ट में 4500 निर्माण अवैध बताए थे। 18 वर्ष बाद अब इनकी संख्या 18 हजार से अधिक है। एडीए द्वारा चिह्नित होने के बाद भी ध्वस्त नहीं हुए। इनमें होटल, गेस्ट हाउस से लेकर हॉस्पिटल, स्कूल व अपार्टमेंट शामिल हैं।
इनके अलावा शमसाबाद, फतेहाबाद, शास्त्रीपुरम, पथौली, मिढ़ाकर, सिकंदरा क्षेत्र में खेतों में अवैध कॉलोनियां विकसित हो गई हैं। 254 से अधिक अवैध कॉलोनियां एडीए ने पहले से चिह्नित कर रखी हैं। कार्रवाई के नाम पर इंजीनियर व अधिकारियों की जुगलबंदी से अवैध निर्माणों की बाढ़ आ गई है। जब कोई हादसा होता है तब अफसरों की आंखें खुलती हैं।
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