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रेंजर ने बताया कि नदी किनारे के ग्रामीणों को घड़ियाल, मगरमच्छ या उनके बच्चों के खादरों में दिखने पर विभाग को सूचना देने के लिए जागरूक किया गया है। उन्होंने बताया कि पचनदा तक पहुंचे वयस्क घड़ियाल अगले महीने तक अपने ठिकानों पर वापस लौटने लगेंगे।
बाढ़ की वजह से शिशुओं का सर्वाइवल दो से पांच फीसदी ही रहता है। टर्टल सर्वाइवल एलायंस (टीएसए) के प्रोजेक्ट अफसर रोहित झा कहते हैं कि बाढ़ के पानी के साथ घड़ियाल शिशु बहकर पचनदा से यमुना नदी में पहुंच जाते हैं। वयस्क घडियाल तो बहने के बाद अपने ठिकाने पर वापिस लौट जाते हैं, लेकिन यमुना में गंदगी की वजह से शिशु सर्वाइव नहीं कर पाते।
रेंजर के मुताबिक चंबल नदी की बाढ़ से वयस्क घड़ियाल, डॉल्फिन और मगरमच्छ अप्रभावित रहते हैं। डॉल्फिन अपना स्थान नहीं छोड़ती। जबकि मगरमच्छ और घड़ियाल बहाव के साथ बहते हैं और बाद में अपने पुराने ठिकाने पर वापस लौट आते हैं।
चंबल नदी की बाढ़ ने 26 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया था। इस बार नदी का जलस्तर खतरे के निशान से आठ मीटर से अधिक हो गया। जिससे बाह-पिनाहट के कई गांव बाढ़ से घिर गए। फसलें बर्बाद हो गईं। कई मकान गिर गए। बाढ़ के पानी में घड़ियाल और उनके शिशु भी बह गए।
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