Alligators in Chambal: चंबल की बाढ़ में बहे नन्हे घड़ियालों की तलाश, इस साल जन्मे थे 2800 शिशु

0
24

[ad_1]

आगरा के बाह और पिनाहट क्षेत्र में पानी उतरने के साथ ही चंबल की बाढ़ में बहे नन्हे घड़ियालों की तलाश शुरू हो गई है। बाढ़ के पानी के साथ खादरों में फंसे घड़ियाल शिशुओं को वन विभाग कर्मी नदी की राह दिखाने में जुटे हैं। घड़ियाल शिशुओं के पचनदा तक बहकर जाने की आशंका है। बाह के रेंजर आरके सिंह राठौड़ ने बताया कि इस साल चंबल सेंक्चुअरी की बाह रेंज में हैचिंग से 2800 घड़ियाल शिशुओं का जन्म हुआ था। चंबल में वयस्क घड़ियालों की संख्या 2176 है। बाढ़ में घड़ियाल और शिशु बहकर पचनदा तक पहुंच जाते हैं। कुछ बाढ़ के पानी के साथ खादरों में फंस गए थे। पानी घटने के साथ ही घड़ियालों की तलाश शुरू हो गई है। घड़ियाल और उनके नन्हें शिशुओं को खादर से नदी तक की राह दिखाई जा रही है।

रेंजर ने बताया कि नदी किनारे के ग्रामीणों को घड़ियाल, मगरमच्छ या उनके बच्चों के खादरों में दिखने पर विभाग को सूचना देने के लिए जागरूक किया गया है। उन्होंने बताया कि पचनदा तक पहुंचे वयस्क घड़ियाल अगले महीने तक अपने ठिकानों पर वापस लौटने लगेंगे। 

यह भी पढ़ें -  होली के बाद ट्रेनों में लगी भीड़: लोग बोल, भईया...कोच में चढ़ा दो, गिरते-पड़ते चले जाएंगे

बाढ़ की वजह से शिशुओं का सर्वाइवल दो से पांच फीसदी ही रहता है। टर्टल सर्वाइवल एलायंस (टीएसए) के प्रोजेक्ट अफसर रोहित झा कहते हैं कि बाढ़ के पानी के साथ घड़ियाल शिशु बहकर पचनदा से यमुना नदी में पहुंच जाते हैं। वयस्क घडियाल तो बहने के बाद अपने ठिकाने पर वापिस लौट जाते हैं, लेकिन यमुना में गंदगी की वजह से शिशु सर्वाइव नहीं कर पाते। 

रेंजर के मुताबिक चंबल नदी की बाढ़ से वयस्क घड़ियाल, डॉल्फिन और मगरमच्छ अप्रभावित रहते हैं। डॉल्फिन अपना स्थान नहीं छोड़ती। जबकि मगरमच्छ और घड़ियाल बहाव के साथ बहते हैं और बाद में अपने पुराने ठिकाने पर वापस लौट आते हैं।

चंबल नदी की बाढ़ ने 26 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया था। इस बार नदी का जलस्तर खतरे के निशान से आठ मीटर से अधिक हो गया। जिससे बाह-पिनाहट के कई गांव बाढ़ से घिर गए। फसलें बर्बाद हो गईं। कई मकान गिर गए। बाढ़ के पानी में घड़ियाल और उनके शिशु भी बह गए। 

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here