Assembly Election Result 2022: मुफ्त की योजनाओं पर भारी मोदी का ये मंत्र, इसी से 20 चुनावों में भाजपा को दिलाई जीत

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सार

उत्तर प्रदेश, मणिपुर, गोवा और उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी ने बड़ी जीत हासिल कर ली है। इसी के साथ देश के 18 राज्यों में सत्ता बरकरार रखने में भाजपा को कामयाबी मिली है। 
 

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इस बार उत्तर प्रदेश समेत पांचों राज्यों में जीत के लिए राजनीतिक दलों ने एक से बढ़कर एक दांव चले थे। बड़े-बड़े चुनावी वादे किए गए। मुफ्त बिजली से लेकर राशन, स्कूटी और लैपटॉप तक की घोषणाएं हुईं। 

बात सबसे बड़े राज्य यूपी की करते हैं। यहां समाजवादी पार्टी ने पुरानी पेंशन की बहाली, शिक्षामित्रों को फिर से सहायक शिक्षक का पद दिलाने, संविदा कर्मचारियों को नियमित करने जैसे कई बड़े वादे किए थे। कांग्रेस ने भी तीन अलग-अलग वचन पत्र के जरिए वोटर्स को साधने की कोशिश की थी। फिर भी जीत नहीं मिली। 

इसको लेकर सियासी गलियारे में तमाम तरह की चर्चाएं हो रहीं हैं। हर कोई पूछ रहा है कि तमाम मुफ्त योजनाओं के वादों के बावजूद समाजवादी पार्टी क्यों हार गई? आइए हम आपको आंकड़ों के जरिए बताते हैं कि विपक्ष की मुफ्त योजनाओं पर कैसे मोदी का ये मंत्र काम कर गया…?  
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान देश में राष्ट्रवाद का मंत्र फूंका। ये मंत्र तब से लेकर अब तक भारतीय जनता पार्टी को 20 चुनावों में जीत दिला चुका है। इस चुनाव में भी पीएम मोदी ने कई बार इसका जिक्र किया। राष्ट्र प्रथम का नारा दिया। प्रधानमंत्री ने पूर्वांचल की एक चुनावी रैली में कहा था, ‘दुनिया में उथल-पुथल है। आज का ये दौर भारत को, हर भारतवासी को एक बहुत बड़ा संदेश दे रहा है। ये समय भारत को ज्यादा से ज्यादा ताकतवर व आत्मनिर्भर बनाने का है। ये समय जात-पात से ऊपर उठकर, छोटी से छोटी बातों से ऊपर उठकर, राष्ट्र के साथ खड़े होने का है।’
 
प्रधानमंत्री ने आगे कहा था, ‘हमें हर हाल में अपनी सेनाओं को आधुनिक बनाना होगा। देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए खुद को खपाना होगा। ये काम घोर परिवारवादी, घोर स्वार्थी कभी नहीं कर सकते। जिन लोगों का इतिहास रक्षा सौदों में कमीशन खाने का रहा हो, वो परिवारवादी देश को मजबूत नहीं कर सकते। देश तभी ताकतवर होगा, जब देश के राज्य ताकतवर होंगे, जब उत्तर प्रदेश ताकतवर होगा। लेकिन घोर परिवारवादियों का तो एक ही फॉर्मूला है- पैसा परिवार की तिजोरी में, कानून जेब में और जनता इनके पैरों पर।’ 

अपनी इन बातों से पीएम ने एक तीर से दो निशाना साधा था। एक तरफ उन्होंने विपक्ष और खासतौर पर समाजवादी पार्टी को घेरा, दूसरी ओर लोगों को राष्ट्रवाद का संदेश दिया। जिसका व्यापक असर नतीजों पर देखने को मिला।   

गांव-गांव तक पहुंच चुका है मोदी का ये संदेश
मोदी के राष्ट्रवाद का मंत्र भाजपा ने गांव-गांव तक पहुंचाया। गाजीपुर के सरसौली गांव की रहने वाली दुलारी देवी भोजपुरी में कहती हैं, ‘हमार बिटवा पढ़े जात है। उ कहत रहे कि खाली अपने बदे ना सोचे के चाही। देश के बदे सोचे के चाही।’ 

दुलारी के कहने का मतलब था कि इंसान को केवल खुद के बारे में नहीं सोचना चाहिए। देश के बारे में सोचना चाहिए। देश आगे बढ़ेगा तो हम सभी आगे बढ़ेंगे। कुछ यही नजरिया आजमगढ़ के चंसुर यादव, मिर्जापुर के मोहन सिंह और बलिया के खेरा प्रजापति का भी है। ये सभी मोदी के मुरीद हैं। कहते हैं कि पीएम मोदी ने देश का नाम दुनियाभर में रोशन कर दिया है। आज हर कोई भारत को सम्मान की नजरों से देखता है। ये हम सभी के लिए गर्व की बात है। ऐसे में देश के लिए अगर कुछ तकलीफें सहनी पड़े तो खुशी-खुशी सह लेंगे।  
 
पीएम आवास योजना, जन धन योजना, किसान सम्मान निधि, मुफ्त राशन योजना, उज्जवला समेत कई मुफ्त की योजनाओं का लाभ हर उस वर्ग तक पहुंचा जिसके लिए ये जरूरी था। इसकी चर्चा शहर से लेकर गांव तक होती रही। 

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कन्नौज की रजिया बेगम कहती हैं, ‘मैं तो योगी जी के साथ ही हूं। हमने कभी नहीं सोचा था कि हमारे सिर पर भी छत होगा। मोदी और योगी जी ने हमें घर दे दिया।’ कानपुर के विकास को भी पीएम आवास योजना का लाभ मिला है। प्रतापगढ़ की सोनी कहती हैं, आज तक छोटे किसानों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि सरकार से उन्हें पैसा मिलेगा। आज सालभर में छह हजार रुपया मिल जाता है। इसके लिए किसी को रिश्वत भी नहीं देना पड़ता है। 

मथुरा के द्वारिका प्रसाद कहते हैं कि पहले की सरकारों में जाति-धर्म देखकर योजनाओं का लाभ दिया जाता था। मोदी और योगी सरकार में कभी ऐसा नहीं हुआ। मुरादाबाद के प्रतीक और बरेली की सुधा का भी यही मानना है। शाहजहांपुर के नवीन सैनी कहते हैं, ‘व्यापार में कुछ दिक्कतें आईं, लेकिन देश के नाम पर भाजपा का साथ देना जरूरी है।’

20 चुनाव में इसी मंत्र ने दिलाई है जीत
राष्ट्रवाद के मंत्र पर यूपी समेत चारों राज्यों में भाजपा की ये पहली जीत नहीं है, बल्कि 2014 से लेकर अब तक 20 चुनाव इसके जरिए भाजपा जीत चुकी है।  

  • 2014 : लोकसभा चुनाव
  • 2016 : असम विधानसभा चुनाव
  • 2017 : यूपी, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनाव 
  • 2018 : त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड विधानसभा चुनाव 
  • 2019 : लोकसभा चुनाव, अरुणाचल प्रदेश और हरियाणा विधानसभा चुनाव 
  • 2020 : बिहार विधानसभा चुनाव 
  • 2021 : असम और पुडुचेरी विधानसभा चुनाव  
  • 2022 : यूपी, गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर विधानसभा चुनाव

विस्तार

इस बार उत्तर प्रदेश समेत पांचों राज्यों में जीत के लिए राजनीतिक दलों ने एक से बढ़कर एक दांव चले थे। बड़े-बड़े चुनावी वादे किए गए। मुफ्त बिजली से लेकर राशन, स्कूटी और लैपटॉप तक की घोषणाएं हुईं। 

बात सबसे बड़े राज्य यूपी की करते हैं। यहां समाजवादी पार्टी ने पुरानी पेंशन की बहाली, शिक्षामित्रों को फिर से सहायक शिक्षक का पद दिलाने, संविदा कर्मचारियों को नियमित करने जैसे कई बड़े वादे किए थे। कांग्रेस ने भी तीन अलग-अलग वचन पत्र के जरिए वोटर्स को साधने की कोशिश की थी। फिर भी जीत नहीं मिली। 

इसको लेकर सियासी गलियारे में तमाम तरह की चर्चाएं हो रहीं हैं। हर कोई पूछ रहा है कि तमाम मुफ्त योजनाओं के वादों के बावजूद समाजवादी पार्टी क्यों हार गई? आइए हम आपको आंकड़ों के जरिए बताते हैं कि विपक्ष की मुफ्त योजनाओं पर कैसे मोदी का ये मंत्र काम कर गया…?  

 

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