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सांकेतिक तस्वीर।
– फोटो : istock
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गोरखपुर जिले में सूदखोरों की प्रताड़ना का आतंक ऐसा है कि कोई हत्यारा बनकर खुद की जिंदगी खत्म कर ले रहा है, तो कोई परिवार वालों की नजरों में गिरकर जेल जा रहा है। वहीं, इस हालात के पीछे के असल जिम्मेदार सूदखोर पुलिस के शिकंजे से दूर हैं। हाल के दिनों में गोला और झंगहा में सूदखोरों की प्रताड़ना की दो घटनाएं सामने आई हैं। पुलिस एक भी मामले में कार्रवाई नहीं कर पाई है।
ऐसा नहीं है कि सूदखोरों का आतंक कोई नया है। यह सब लंबे समय से रहा है, लेकिन पुलिस कुछ कर नहीं पाती है। घटना होने के बाद चंद दिन इस पर बहस होती है तो पुलिस कार्रवाई की दलील देकर पीछा छुड़ा लेती है। असल में सूदखोरी पर अंकुश कब लगेगा, यह बताने वाला कोई नहीं है।
बृहस्पतिवार को जेल गए मनीष ने बताया कि उसने इलाके के दो लोगों से एक लाख 40 हजार रुपये सूद पर लिया था। 15 प्रतिशत मासिक ब्याज की वजह से सूद की रकम बढ़कर तीन लाख हो गई है। पूर्व में दी गई किस्त भी इसमें समा गई है।
सूदखोरों ने मनीष का ऐसा मानसिक उत्पीड़न किया कि वह घरवालों से झूठ बोलकर कहीं चला गया। अपहरण की कहानी रची और रुपये की अदायगी के लिए घरवालों से फिरौती मांग ली। चूंकि यह कानून की नजर में अपराध है, इस वजह से मनीष जेल चला गया, लेकिन सूदखोरों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
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