रूस का लूना-25 अंतरिक्ष यान अनियंत्रित कक्षा में घूमने के बाद चंद्रमा से टकराकर रविवार को दुर्घटनाग्रस्त हो गया। लगभग 50 वर्ष बाद इस देश का यह पहला चंद्र अभियान था। मानवरहित यह अंतरिक्ष यान सोमवार को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला था। इस अंतरिक्ष यान को चंद्रमा के एक भाग का पता लगाने के लिए सोमवार को चांद की सतह पर साफ्ट लैंडिंग करना था, जिसके बारे में वैज्ञानिकों का मानना है कि यहां पर जमे हुए पानी में कीमती तत्व हो सकते हैं। रूस के सरकारी अंतरिक्ष कॉर्पोरेशन, रोस्कोस्मोस ने कहा कि समस्याग्रस्त होने के कुछ ही देर बाद उनका संपर्क लूना-25 से टूट गया।
देश की अंतरिक्ष एजेंसी ‘रोस्कोस्मोस’ ने बताया कि अंतरिक्ष यान में लैंडिंग से पहले की कक्षा में प्रवेश करने की कोशिश करते वक्त अनिर्दिष्ट खराबी आ गई और वैज्ञानिक स्थिति का आकलन कर रहे हैं। अंतरिक्ष एजेंसी ने टेलीग्राम पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘अभियान के दौरान स्वचालित स्टेशन में एक असामान्य स्थिति उत्पन्न हो गई जिससे निर्दिष्ट मानकों के साथ निर्धारित प्रक्रिया को अंजाम नहीं दिया जा सका।’’ रोस्कोस्मोस ने यह नहीं बताया कि इस घटना का लूना-25 के चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग पर कोई प्रभाव होगा या नहीं। इस अंतरिक्ष यान के सोमवार को चंद्रमा के दक्षिणी धृुव पर उतरने की उम्मीद है जबकि भारत के ‘चंद्रयान-3’ के 23 अगस्त को ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने की उम्मीद है।
रूसी अंतरिक्ष यान ने शनिवार को अपने पहले नतीजे भी जारी किए। रोस्कोस्मोस ने कहा कि वह सूचना का विश्लेषण कर रहा है लेकिन एजेंसी ने बताया कि प्रारंभिक आंकड़ों से चंद्रमा की मिट्टी में रासायनिक तत्व मिलने की जानकारी मिली है। चंद्र अन्वेषण में रूस महत्वपूर्ण वापसी कर रहा है।
1976 में सोवियत युग के लूना-24 मिशन के बाद लगभग पांच दशकों में पहली बार, 10 अगस्त को लूना-25 अंतरिक्ष में भेजा गया। इसके संभावित रूप से लगभग 21-23 अगस्त तक लैंडिंग करने की उम्मीद है और तकरीबन इसी वक्त भारत के अंतरिक्ष यान के भी चंद्रमा की सतह पर उतरने की उम्मीद है। अभी तक केवल पूर्ववर्ती सोवियत संघ, अमेरिका और चीन ने चंद्रमा पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में कामयाबी हासिल की है। भारत और रूस का चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सबसे पहले उतरने का लक्ष्य है।