Unnao News: ्वास्थ्य केंद्रों में खत्म हुआ पीसीवी वैक्सीन का स्टॉक

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उन्नाव। बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए लगने वाली न्यूमोकोकल कॉन्ज्यूगेट वैक्सीन (पीसीवी) स्वास्थ्य केंद्रों में खत्म हो गई है। जिला अस्पताल के वैक्सीन सेंटर में भी सिर्फ 200 वॉयल ही बची हैं। जबकि जिले में करीब 22000 बच्चों को टीका लगाने का लक्ष्य है। वैक्सीन कम होने और बच्चों की संख्या अधिक होने से स्वास्थ्य अधिकारी भी परेशान हैं। वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए सीएमओ ने बताया कि स्वास्थ्य महानिदेशक को पत्र भेजा गया है।
बच्चे के जन्म से दो साल तक निमोनिया से बचाव के लिए तीन टीके लगाए जाते हैं। इसमें पहला टीका छह हफ्ते या डेढ़ महीने में पैंटा वैक्सीन के साथ पीसीवी का टीका लगाया जाता है। उसके बाद दूसरा टीका साढ़े तीन महीने में पैंटा वैक्सीन थर्ड डोज के साथ पीसीवी का दूसरा टीका लगता है।
बूस्टर डोज नौ महीने में मिजिल्स रूबेला वैक्सीन के साथ ही पीसीवी का बूस्टर डोज लगाया जाता है। नियमानुसार पैदा होने से एक साल तक तीन टीके लगने चाहिए। लेकिन स्वास्थ्य केंद्रों में करीब दो महीने से पीसीवी की नियमित सप्लाई नहीं हो पा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों से परिजन बच्चों को यह टीका लगवाने के लिए जिला अस्पताल या फिर अरबन सेंटर पहुंच रहे हैं। मौजूदा समय में हजारों बच्चे ऐसे हैं जिन्हे निमोनिया से बचाव की वैक्सीन नहीं लग पाई है।
सीएमओ डॉ. सत्यप्रकाश ने बताया कि पीसीवी वैक्सीन शासन से ही नहीं मिल पा रही है। वैक्सीन के लिए स्वास्थ्य महानिदेशक को पत्र (डिमांड) भेजने के साथ रिमाइंडर भी भेजा गया है, लेकिन अब तक वैक्सीन की खेप उपलब्ध नहीं हो पाई।
जिला मुख्यालय पर भी एक हजार डोज ही उपलब्ध
निमोनिया से बचाव के लिए लगने वाली पीसीवी वैक्सीन की एक वायल में पांच बच्चों को वैक्सीन लगाई जा सकती है। इस आधार पर जिले पर सिर्फ 200 वायल ही उपलब्ध हैं। इस आधार पर सिर्फ एक हजार ही डोज ही उपलब्ध हैं।
निमोनिया के लक्षण और बचाव
बच्चों के बुखार, खांसी, सांस तेज चलना, पसली चलना या पसली धसना निमोनिया के लक्षण हैं। बच्चे में ऐसे लक्षण दिखाई देने पर तत्काल डॉक्टर से इलाज कराएं। बच्चों को निमोनिया से बचाव करने के लिए पीसीवी वैक्सीन लगवाएं जो बीमारी से बचाव में बेहद कारगर है। खांसते हुए बच्चे की नाक और मुंह पर रुमाल रखें।

यह भी पढ़ें -  उन्नाव: अनुपस्थित मिले सहायक श्रमायुक्त, रोका गया वेतन

उन्नाव। बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए लगने वाली न्यूमोकोकल कॉन्ज्यूगेट वैक्सीन (पीसीवी) स्वास्थ्य केंद्रों में खत्म हो गई है। जिला अस्पताल के वैक्सीन सेंटर में भी सिर्फ 200 वॉयल ही बची हैं। जबकि जिले में करीब 22000 बच्चों को टीका लगाने का लक्ष्य है। वैक्सीन कम होने और बच्चों की संख्या अधिक होने से स्वास्थ्य अधिकारी भी परेशान हैं। वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए सीएमओ ने बताया कि स्वास्थ्य महानिदेशक को पत्र भेजा गया है।

बच्चे के जन्म से दो साल तक निमोनिया से बचाव के लिए तीन टीके लगाए जाते हैं। इसमें पहला टीका छह हफ्ते या डेढ़ महीने में पैंटा वैक्सीन के साथ पीसीवी का टीका लगाया जाता है। उसके बाद दूसरा टीका साढ़े तीन महीने में पैंटा वैक्सीन थर्ड डोज के साथ पीसीवी का दूसरा टीका लगता है।

बूस्टर डोज नौ महीने में मिजिल्स रूबेला वैक्सीन के साथ ही पीसीवी का बूस्टर डोज लगाया जाता है। नियमानुसार पैदा होने से एक साल तक तीन टीके लगने चाहिए। लेकिन स्वास्थ्य केंद्रों में करीब दो महीने से पीसीवी की नियमित सप्लाई नहीं हो पा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों से परिजन बच्चों को यह टीका लगवाने के लिए जिला अस्पताल या फिर अरबन सेंटर पहुंच रहे हैं। मौजूदा समय में हजारों बच्चे ऐसे हैं जिन्हे निमोनिया से बचाव की वैक्सीन नहीं लग पाई है।

सीएमओ डॉ. सत्यप्रकाश ने बताया कि पीसीवी वैक्सीन शासन से ही नहीं मिल पा रही है। वैक्सीन के लिए स्वास्थ्य महानिदेशक को पत्र (डिमांड) भेजने के साथ रिमाइंडर भी भेजा गया है, लेकिन अब तक वैक्सीन की खेप उपलब्ध नहीं हो पाई।

जिला मुख्यालय पर भी एक हजार डोज ही उपलब्ध

निमोनिया से बचाव के लिए लगने वाली पीसीवी वैक्सीन की एक वायल में पांच बच्चों को वैक्सीन लगाई जा सकती है। इस आधार पर जिले पर सिर्फ 200 वायल ही उपलब्ध हैं। इस आधार पर सिर्फ एक हजार ही डोज ही उपलब्ध हैं।

निमोनिया के लक्षण और बचाव

बच्चों के बुखार, खांसी, सांस तेज चलना, पसली चलना या पसली धसना निमोनिया के लक्षण हैं। बच्चे में ऐसे लक्षण दिखाई देने पर तत्काल डॉक्टर से इलाज कराएं। बच्चों को निमोनिया से बचाव करने के लिए पीसीवी वैक्सीन लगवाएं जो बीमारी से बचाव में बेहद कारगर है। खांसते हुए बच्चे की नाक और मुंह पर रुमाल रखें।



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