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उन्नाव। ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर तक शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार की जल जीवन मिशन योजना का जिले में खाका तैयार हो गया है। डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) को राज्य सरकार ने मंजूरी दे दी है। शनिवार को ऑनलाइन टेंडर भी अपलोड कर दिया गया। दो चरण में पूरी होने वाली इस योजना पर कुल पांच अरब चार करोड़ 20 लाख रुपये खर्च होंगे। 2024 तक सभी 1040 ग्राम पंचायतों में 6.11 लाख घरों तक नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य है।
जिले के भूगर्भीय जल में फ्लोराइड और आर्सेनिक की मात्रा घातक स्तर पर है। इस समस्या के समाधान के लिए जल जीवन मिशन योजना के तहत गंगा नदी के जल को शुद्ध करके घरों में आपूर्ति की जाएगी।
इसके लिए सिकंदरपुर सरोसी ब्लाक के सुल्तानपुर ग्रंट और बिछिया ब्लाक के अमरसस में दो वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाएंगे। 384 पानी की टंकियां (ओवर हेड टैंक) और 82 भूमिगत टंकियां बनेंगी। 10 हजार किमी भूमिगत पाइप लाइनें बिछाकर सभी ग्रामी पंचायतों के हर घर तक नल से जल पहुंचाया जाएगा। (संवाद)
टेंडर होते ही शुरू होगा काम
जलनिगम के एक्सईएन मोहित चक ने बताया कि योजना का प्रोजेक्ट मंजूर हो गया है। शासन से स्वीकृति के बाद राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन विभाग की ओर से पोर्टल पर अपलोड भी कर दिया गया है। बताया कि टेंडर प्रक्रिया शासन स्तर से ही पूरी की जाएगी। जल निगम निर्माण कार्य के मानकों की निगरानी करेगा। काम करने वाली एजेंसी प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद अगले पांच साल तक इसका रखरखाव भी करेगी।
1200 गांव फ्लोलाइड प्रभावित
जिले के 1200 गांव फ्लोलाइड प्रभावित हैं। ग्रामीण शुद्ध पानी के लिए सरकारी हैंडपंपों पर निर्भर हैं। जिन गांवों का पानी ज्यादा प्रदूषित है वहां जलनिगम ने विभिन्न योजनाओं के लिए शुद्ध पेयजल के लिए आरओ आधारित छोटे पंप भी लगवाए लेकिन अत्यधिक फ्लोराइड के कारण वह भी एक साल में ही खराब हो गए। नवाबगंज, सिकंदरपुर सरोसी, पुरवा, असोहा, हसनगंज आदि ब्लाकों के गांवों सथरा, मकूर, मवई, गदोरवा, परियर में पानी काफी खराब है। सदर तहसील क्षेत्र के गांव सथरा, करीमाबाद, गरवर खेड़ा, पोटरहिया, ऐरा भदियार, फतेहपुर चौरासी ब्लाक के कई गांवों, शहर व आसपास भूगर्भ जल में फ्लोराइड व अन्य घातक पदार्थ हैं।
जल जीवन मिशन के तहत पहले अलग-अलग ब्लाकों में बोरिंग करके जलापूर्ति देने की योजना थी। लेकिन भूगर्भ जल में अत्यधिक फ्लोराइड और आर्सेनिक पाए जाने पर योजना को सतही जल आधारित किया गया। अब गंगा नदी के जल को ट्रीटमेंट प्लांट के जरिये साफ करके आपूर्ति की जाएगी। – सुजीत कुमार, जेई जलनिगम।
उन्नाव। ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर तक शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार की जल जीवन मिशन योजना का जिले में खाका तैयार हो गया है। डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) को राज्य सरकार ने मंजूरी दे दी है। शनिवार को ऑनलाइन टेंडर भी अपलोड कर दिया गया। दो चरण में पूरी होने वाली इस योजना पर कुल पांच अरब चार करोड़ 20 लाख रुपये खर्च होंगे। 2024 तक सभी 1040 ग्राम पंचायतों में 6.11 लाख घरों तक नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य है।
जिले के भूगर्भीय जल में फ्लोराइड और आर्सेनिक की मात्रा घातक स्तर पर है। इस समस्या के समाधान के लिए जल जीवन मिशन योजना के तहत गंगा नदी के जल को शुद्ध करके घरों में आपूर्ति की जाएगी।
इसके लिए सिकंदरपुर सरोसी ब्लाक के सुल्तानपुर ग्रंट और बिछिया ब्लाक के अमरसस में दो वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाएंगे। 384 पानी की टंकियां (ओवर हेड टैंक) और 82 भूमिगत टंकियां बनेंगी। 10 हजार किमी भूमिगत पाइप लाइनें बिछाकर सभी ग्रामी पंचायतों के हर घर तक नल से जल पहुंचाया जाएगा। (संवाद)
टेंडर होते ही शुरू होगा काम
जलनिगम के एक्सईएन मोहित चक ने बताया कि योजना का प्रोजेक्ट मंजूर हो गया है। शासन से स्वीकृति के बाद राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन विभाग की ओर से पोर्टल पर अपलोड भी कर दिया गया है। बताया कि टेंडर प्रक्रिया शासन स्तर से ही पूरी की जाएगी। जल निगम निर्माण कार्य के मानकों की निगरानी करेगा। काम करने वाली एजेंसी प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद अगले पांच साल तक इसका रखरखाव भी करेगी।
1200 गांव फ्लोलाइड प्रभावित
जिले के 1200 गांव फ्लोलाइड प्रभावित हैं। ग्रामीण शुद्ध पानी के लिए सरकारी हैंडपंपों पर निर्भर हैं। जिन गांवों का पानी ज्यादा प्रदूषित है वहां जलनिगम ने विभिन्न योजनाओं के लिए शुद्ध पेयजल के लिए आरओ आधारित छोटे पंप भी लगवाए लेकिन अत्यधिक फ्लोराइड के कारण वह भी एक साल में ही खराब हो गए। नवाबगंज, सिकंदरपुर सरोसी, पुरवा, असोहा, हसनगंज आदि ब्लाकों के गांवों सथरा, मकूर, मवई, गदोरवा, परियर में पानी काफी खराब है। सदर तहसील क्षेत्र के गांव सथरा, करीमाबाद, गरवर खेड़ा, पोटरहिया, ऐरा भदियार, फतेहपुर चौरासी ब्लाक के कई गांवों, शहर व आसपास भूगर्भ जल में फ्लोराइड व अन्य घातक पदार्थ हैं।
जल जीवन मिशन के तहत पहले अलग-अलग ब्लाकों में बोरिंग करके जलापूर्ति देने की योजना थी। लेकिन भूगर्भ जल में अत्यधिक फ्लोराइड और आर्सेनिक पाए जाने पर योजना को सतही जल आधारित किया गया। अब गंगा नदी के जल को ट्रीटमेंट प्लांट के जरिये साफ करके आपूर्ति की जाएगी। – सुजीत कुमार, जेई जलनिगम।
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