जिले में 74 फीसदी लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड का इंतजार

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उन्नाव। आयुष्मान योजना के तहत गोल्डन कार्ड धारकों को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध हो, इसके लिए हाल ही में अंग प्रत्यारोपण का पैकेज भी समाहित किया गया है लेकिन, जिम्मेदार सरकार की मंशा पर पानी फेर रहे हैं। पात्रता सूची में शामिल होने के बाद भी कार्ड न होने से लोग मुफ्त इलाज नहीं करा पा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो चार वर्षों में केवल 26 फीसदी पात्रों के ही गोल्डन कार्ड बन सके हैं। 74 फीसदी लाभार्थी अभी भी खाली हाथ हैं।
आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत लाभार्थियों को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए 2018 में गोल्डन कार्ड बनाने की शुरुआत हुई थी। धीरे-धीरे लाभार्थियों की संख्या बढ़ने के साथ आयुष्मान कार्ड बनाने का लक्ष्य 17,37,986 पहुंच गया। हैरतअंगेज ये है कि इन चार वर्षों में स्वास्थ्य विभाग सिर्फ 4,51,955 लाभार्थियों के ही कार्ड बना सका। जो लक्ष्य का महज 26 फीसदी ही है।
12,86,031 लाभार्थी अभी भी ऐसे हैं जिनके कार्ड अभी तक प्रतीक्षा सूची में हैं। लाभार्थी अपना कार्ड बनवाने निर्धारित सेंटरों पर पहुंचते भी हैं लेकिन, कभी सर्वर खराब तो कभी कंप्यूटर ऑपरेटर न होने की बात कहकर टरका दिया जाता है। इससे लोगों को केंद्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। योजना के तहत सरकार ने 365 नए पैकेज भी शामिल किए हैं। कार्ड न होने से जरूरतमंद मुफ्त इलाज की सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे।
सीएमओ डॉ. सत्यप्रकाश ने बताया कि जिले में साल 2018 में इस योजना की शुरुआत हुई थी। तब लाभार्थियों की संख्या 1,94,488 थी। अब संख्या कई गुना बढ़ गई है। जिनका आयुष्मान कार्ड नहीं बना है, वह जरूर बनवा लें। कार्ड बनवाने के लिए लाभार्थी के पास आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, राशन कार्ड व मोबाइल नंबर होना जरूरी है।
आयुष्मान गोल्डन कार्ड बनाने के लिए जिले में सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में 17 आरोग्य मित्रों की तैनाती होनी चाहिए जबकि सिर्फ नौ ही तैनात हैं। आरोग्य मित्र न होने से कार्ड नहीं बन पा रहे हैं। इनकी भर्ती प्रक्रिया लंबे समय से फाइलों से बाहर नहीं निकल पाई।
आयुष्मान कार्ड प्रभारी एसीएमओ डॉ. जयराम सिंह ने बताया कि कुल 37 अस्पतालों में आयुष्मान से इलाज की व्यवस्था है। जिसमें 20 निजी और 17 सरकारी चिकित्सालय हैं। इन अस्पतालों में अब तक 16090 मरीजों का इलाज किया जा चुका है। अब नई दरों के आधार पर अंग प्रत्यारोपण के साथ ही मानसिक बीमारियों का भी इलाज हो सकेगा।
लाभार्थियों ने बताई परेशानी
फोटो- 4
बिछिया ब्लॉक के गांव मैता निवासी आयुष्मान लाभार्थी अनिल सैनी ने बताया कि कई बार गोल्डन कार्ड बनवाने के लिए आशा कार्यकर्ता और सेंटर पर भी गया था लेकिन, कभी सर्वर तो कभी कोई दिक्कत बताकर लौटा दिया गया।
फोटो- 5
मैता गांव के शिवलाल ने बताया कि योजना में पात्रता सूची में नाम है लेकिन, अब तक कार्ड नहीं बन पाया है। कार्ड बनवाने के लिए भटक रहा हूं। सुविधा होने के बाद भी जिम्मेदारों की लापरवाही से लाभ नहीं मिल रहा है।

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उन्नाव। आयुष्मान योजना के तहत गोल्डन कार्ड धारकों को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध हो, इसके लिए हाल ही में अंग प्रत्यारोपण का पैकेज भी समाहित किया गया है लेकिन, जिम्मेदार सरकार की मंशा पर पानी फेर रहे हैं। पात्रता सूची में शामिल होने के बाद भी कार्ड न होने से लोग मुफ्त इलाज नहीं करा पा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो चार वर्षों में केवल 26 फीसदी पात्रों के ही गोल्डन कार्ड बन सके हैं। 74 फीसदी लाभार्थी अभी भी खाली हाथ हैं।

आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत लाभार्थियों को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए 2018 में गोल्डन कार्ड बनाने की शुरुआत हुई थी। धीरे-धीरे लाभार्थियों की संख्या बढ़ने के साथ आयुष्मान कार्ड बनाने का लक्ष्य 17,37,986 पहुंच गया। हैरतअंगेज ये है कि इन चार वर्षों में स्वास्थ्य विभाग सिर्फ 4,51,955 लाभार्थियों के ही कार्ड बना सका। जो लक्ष्य का महज 26 फीसदी ही है।

12,86,031 लाभार्थी अभी भी ऐसे हैं जिनके कार्ड अभी तक प्रतीक्षा सूची में हैं। लाभार्थी अपना कार्ड बनवाने निर्धारित सेंटरों पर पहुंचते भी हैं लेकिन, कभी सर्वर खराब तो कभी कंप्यूटर ऑपरेटर न होने की बात कहकर टरका दिया जाता है। इससे लोगों को केंद्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। योजना के तहत सरकार ने 365 नए पैकेज भी शामिल किए हैं। कार्ड न होने से जरूरतमंद मुफ्त इलाज की सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे।

सीएमओ डॉ. सत्यप्रकाश ने बताया कि जिले में साल 2018 में इस योजना की शुरुआत हुई थी। तब लाभार्थियों की संख्या 1,94,488 थी। अब संख्या कई गुना बढ़ गई है। जिनका आयुष्मान कार्ड नहीं बना है, वह जरूर बनवा लें। कार्ड बनवाने के लिए लाभार्थी के पास आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, राशन कार्ड व मोबाइल नंबर होना जरूरी है।

आयुष्मान गोल्डन कार्ड बनाने के लिए जिले में सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में 17 आरोग्य मित्रों की तैनाती होनी चाहिए जबकि सिर्फ नौ ही तैनात हैं। आरोग्य मित्र न होने से कार्ड नहीं बन पा रहे हैं। इनकी भर्ती प्रक्रिया लंबे समय से फाइलों से बाहर नहीं निकल पाई।

आयुष्मान कार्ड प्रभारी एसीएमओ डॉ. जयराम सिंह ने बताया कि कुल 37 अस्पतालों में आयुष्मान से इलाज की व्यवस्था है। जिसमें 20 निजी और 17 सरकारी चिकित्सालय हैं। इन अस्पतालों में अब तक 16090 मरीजों का इलाज किया जा चुका है। अब नई दरों के आधार पर अंग प्रत्यारोपण के साथ ही मानसिक बीमारियों का भी इलाज हो सकेगा।

लाभार्थियों ने बताई परेशानी

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बिछिया ब्लॉक के गांव मैता निवासी आयुष्मान लाभार्थी अनिल सैनी ने बताया कि कई बार गोल्डन कार्ड बनवाने के लिए आशा कार्यकर्ता और सेंटर पर भी गया था लेकिन, कभी सर्वर तो कभी कोई दिक्कत बताकर लौटा दिया गया।

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मैता गांव के शिवलाल ने बताया कि योजना में पात्रता सूची में नाम है लेकिन, अब तक कार्ड नहीं बन पाया है। कार्ड बनवाने के लिए भटक रहा हूं। सुविधा होने के बाद भी जिम्मेदारों की लापरवाही से लाभ नहीं मिल रहा है।



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