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वाराणसी कचहरी परिसर में हिंदू पक्ष की महिलाएं और उनके अधिवक्ता
– फोटो : अमर उजाला
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ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस में जिला जज की अदालत के आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरकरार रखा है। इसके साथ ही अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी । इस पर हिंदू पक्ष ने बुधवार को खुशी जताते हुए अपनी जीत बताई। साथ ही कहा अब न्यायिक लड़ाई को और मजबूती के साथ लड़ेंगे।
हिंदू पक्ष के अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि जिला जज ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी का आवेदन खारिज कर दिया था। कहा था कि पूजास्थल अधिनियम-1991, वक्फ एक्ट और काशी विश्वनाथ मंदिर एक्ट से श्रृंगार गौरी वाद प्रभावित नहीं होता है। मुकदमा सुनवाई योग्य है। इसी आदेश की हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद पुष्टि कर दी है। यह बहुत बड़ी जीत है। करोड़ों आस्थावान सनातन धर्मियों की विजय है। अब कोर्ट में साक्ष्य की लड़ाई है, जिसमें हमारे साथ हजारों वर्ष से मंदिर होने के प्रमाण हैं। हमारी विजय हर तरह से होगी।
100 करोड़ मंदिर समर्थकों व सनातन धर्मियों की जीत
अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश विधि सम्मत है। अब हमारी तरफ से दाखिल वाद की सुनवाई शुरू हो जाएगी और हमें जल्द ही नियमित दर्शन-पूजन, राग-भोग और श्रृंगार का अधिकार मिल जाएगा।
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