आईएएस सौम्या शर्मा की प्रेरणादायक कहानी: पहले प्रयास में बिना कोचिंग के यूपीएससी, परीक्षा के दौरान 103 बुखार

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परिचय:

किसी के सपनों को पूरा करने की चाह में, कोई बाधा बहाने के रूप में काम नहीं करनी चाहिए। इस धारणा को सिद्ध करने वाली प्रेरक कहानियां अक्सर सामने आती हैं और ऐसी ही एक उल्लेखनीय कहानी सौम्या शर्मा की है। आज हम प्रतिष्ठित भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की एक अधिकारी सौम्या शर्मा की कहानी में तल्लीन हैं, जिन्होंने बिना किसी कोचिंग के यह उपलब्धि हासिल की। विशेष रूप से, सौम्या को तेज बुखार से जूझते हुए परीक्षा में बैठने की अतिरिक्त चुनौती का सामना करना पड़ा।

शिक्षा और पृष्ठभूमि:

सौम्या शर्मा ने दिल्ली में प्रतिष्ठित नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (NLU) में कानून की पढ़ाई की। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, वह एनएलयू में अपने समय के तुरंत बाद 2017 में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा में शामिल हुई। उल्लेखनीय रूप से, उसने 22 साल की छोटी उम्र में इस यात्रा की शुरुआत की।

कोचिंग के बिना तैयारी:

कई उम्मीदवारों के विपरीत, सौम्या शर्मा ने यूपीएससी की तैयारी के लिए किसी भी कोचिंग संस्थान में शामिल होने का फैसला नहीं किया। इसके बजाय, उसने परीक्षा के लिए अपनी तैयारी बढ़ाने के लिए विभिन्न टेस्ट सीरीज़ पर भरोसा किया। यह स्व-अध्ययन दृष्टिकोण फायदेमंद साबित हुआ क्योंकि उसने प्रारंभिक परीक्षा पास कर ली थी।

मुख्य परीक्षा के दौरान बुखार से जूझना:

मुख्य परीक्षा से ठीक एक सप्ताह पहले सौम्या को तेज बुखार हो गया। हालाँकि, उनका दृढ़ संकल्प अटूट रहा। अपनी बीमारी के बावजूद, वह लगातार 102-103 डिग्री तापमान के साथ परीक्षा में बैठी। सौम्या को दिन में तीन बार सेलाइन ड्रिप दी गई, यहां तक ​​कि परीक्षा हॉल में ब्रेक के दौरान भी।

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शैक्षणिक ताकत और अनुकूलनशीलता:

सौम्या शर्मा की उल्लेखनीय शैक्षणिक शक्ति यूपीएससी परीक्षा के दौरान स्पष्ट हो गई। सुनने में अक्षमता से पीड़ित होने के बावजूद, उसने किसी भी रियायत पर भरोसा नहीं किया और सामान्य श्रेणी के तहत आवेदन किया। प्रश्नों को शीघ्रता से समझने और उनका विश्लेषण करने की उनकी क्षमता के साथ-साथ सामान्य ज्ञान में उनकी मजबूत नींव ने उनकी सफलता में मदद की। इतिहास और भूगोल जैसे विषयों, जहां सामान्य ज्ञान पर उनकी पकड़ विशेष रूप से मजबूत थी, ने उनके प्रदर्शन में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

परिणाम:

अपने पहले प्रयास में, सौम्या शर्मा ने 23 साल की उम्र में यूपीएससी 2017 की परीक्षा में देश भर में 9वीं रैंक हासिल करके एक असाधारण उपलब्धि हासिल की। ​​उनका समर्पण और दृढ़ता प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होने के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए एक प्रेरणा के रूप में काम करती है।

निष्कर्ष:

सौम्या शर्मा की यात्रा किसी के लक्ष्यों को प्राप्त करने में दृढ़ संकल्प और लचीलेपन की शक्ति के लिए एक वसीयतनामा के रूप में है। कोचिंग के बिना उसकी उपलब्धि, चुनौतियों का सामना करने में उसकी अटूट भावना के साथ संयुक्त रूप से सभी के लिए प्रेरणा का काम करती है। सौम्या की कहानी इस विश्वास की पुष्टि करती है कि सफलता के मार्ग में कोई बाधा दुर्गम नहीं है।



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