गैर इरादतन हत्या में चार दोषियों का 10 साल की सजा -26 हजार का लगा जुर्माना

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उन्नाव। अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर तृतीय ने गैर इरादतन हत्या में चार दोषियों को 10 साल की सजा सुनाई। दोषियों पर 26 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया।
आसीवन थानाक्षेत्र के अटौरा मजरा कुलहा गांव निवासी हरिराम ने अपने पिता राजाराम पर हुए जानलेवा हमले की रिपोर्ट थाने में 2 मार्च 2014 को दर्ज कराई थी। हरिराम के मुताबिक पिता राजाराम घर के पास लगे बिजली के खंभे से मंदिर के पोल तक तार लेे जाकर लाइट लगाना चाहते थे। जिस पर गांव के रहने वाले मान सिंह उर्फ महेंद्र पासी, पुत्तीलाल, केशनपाल व रामकिशोर ने विरोध किया और पिता को जमकर पीट दिया था। इलाज के दौरान पिता की मौत हो गई थी।
पुलिस ने चारों आरोपियों को जेल भेज दिया था। विवेचना पूरी कर न्यायालय में चारों आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र प्रेषित किया गया। वहीं कुछ दिन बाद चारों आरोपियों की जमानत हो गई और वह जेल से छूट गए। शुक्रवार को मुकदमे की अंतिम सुनवाई अपर सत्र
न्यायाधीश कोर्ट नंबर तृतीय के यहां हुई। जहां अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे सहायक शासकीय अधिवक्ता विनय शंकर दीक्षित आशु की दलीलों को तर्क संगत ठहराते हुए न्यायाधीश महेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने चारों आरोपियों को दोषी ठहराते हुए 10 वर्ष की सश्रम कारावास की सजा सुनाई।

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उन्नाव। अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर तृतीय ने गैर इरादतन हत्या में चार दोषियों को 10 साल की सजा सुनाई। दोषियों पर 26 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया।

आसीवन थानाक्षेत्र के अटौरा मजरा कुलहा गांव निवासी हरिराम ने अपने पिता राजाराम पर हुए जानलेवा हमले की रिपोर्ट थाने में 2 मार्च 2014 को दर्ज कराई थी। हरिराम के मुताबिक पिता राजाराम घर के पास लगे बिजली के खंभे से मंदिर के पोल तक तार लेे जाकर लाइट लगाना चाहते थे। जिस पर गांव के रहने वाले मान सिंह उर्फ महेंद्र पासी, पुत्तीलाल, केशनपाल व रामकिशोर ने विरोध किया और पिता को जमकर पीट दिया था। इलाज के दौरान पिता की मौत हो गई थी।

पुलिस ने चारों आरोपियों को जेल भेज दिया था। विवेचना पूरी कर न्यायालय में चारों आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र प्रेषित किया गया। वहीं कुछ दिन बाद चारों आरोपियों की जमानत हो गई और वह जेल से छूट गए। शुक्रवार को मुकदमे की अंतिम सुनवाई अपर सत्र

न्यायाधीश कोर्ट नंबर तृतीय के यहां हुई। जहां अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे सहायक शासकीय अधिवक्ता विनय शंकर दीक्षित आशु की दलीलों को तर्क संगत ठहराते हुए न्यायाधीश महेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने चारों आरोपियों को दोषी ठहराते हुए 10 वर्ष की सश्रम कारावास की सजा सुनाई।



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