Allahabad High Court : आजमगढ़ में हड़ताली अधिवक्ताओं पर हाईकोर्ट सख्त, यूपी बार काउंसिल को दिया कार्रवाई का आदेश

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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Thu, 17 Feb 2022 09:29 PM IST

सार

यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने ओम प्रकाश की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने अधिवक्ताओं की ओर से की गई हड़ताल को अवैध माना है और निर्देश दिया कि अधिवक्ताओं के कहने पर न्यायिक कार्य को रोका और बाधित नहीं किया जा सकता है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट

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– फोटो : अमर उजाला

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विस्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश बार काउंसिल को निर्देश दिया है कि वह आजमगढ़ के बूढ़नपुर तहसील के आंदोलनकारी अधिवक्ताओं पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करे। कोर्ट ने कहा है कि ये अधिवक्ता दो साल से आंदोलनरत हैं और उन्होंने न्यायिक कार्य नहीं किया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने ओम प्रकाश की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने अधिवक्ताओं की ओर से की गई हड़ताल को अवैध माना है और निर्देश दिया कि अधिवक्ताओं के कहने पर न्यायिक कार्य को रोका और बाधित नहीं किया जा सकता है। याची की ओर से इस बात को लेकर याचिका दाखिल की गई कि तहसील के तहसीलदार शक्ति सिंह कोर्ट का आदेश पालन कराने में विफल रहे।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि बूढ़नपुर तहसील के अधिवक्ता पांच फरवरी 2020 से पांच जनवरी 2022 तक लगातार न्यायिक कार्य से दूर रहे। तहसील के तकरीबन 70 से 75 अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्य की कार्रवाई को आगे बढ़ने भी नहीं दिया गया।

कोर्ट ने यह भी कहा कि विपक्षी पक्ष (आंदोलनकारी अधिवक्ता) के खिलाफ अवमानना की कोई कार्रवाई शुरू नहीं की जा सकती है। क्योंकि, यह इस तथ्य के कारण गलती नहीं है कि तहसील बूढ़नपुर के अधिवक्ता अदालत को ठीक से काम करने की अनुमति नहीं दे रहे हैं।

कोर्ट ने यह भी माना कि अधिवक्ताओं के न्यायिक कार्य से विरत रहने पर परमादेश का अनुपालन नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश बार काउंसिल को लगातार न्यायिक कार्य से विरत रहने वाले अधिवक्ताओं पर कार्रवाई करने का आदेश दिया, जिससे कि न्यायिक कार्य बाधित न हो और कोर्ट की ओर से जारी आदेशों का पालन हो सके।

कोर्ट ने विपक्षी पक्ष को अपने पूर्व के आदेशों का पालन करने का निर्देश दिया। कहा कि अधिवक्ता अगर न्यायिक कार्य से विरत हैं तो वे व्यक्तिगत रूप से सुनवाई करें। अगर अधिवक्ता उसमें बाधा उत्पन्न करते हैं तो पुलिस बल का सहारा लें। 

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