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उन्नाव। अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर जांच के नाम पर भी खेल चल रहा है। इसकी शिकायत एक महिला ने सीएमओ से की है। उसने बताया कि आशा उसे एक अल्ट्रासाउंड केंद्र ले गई। वहां जांच में ट्यूमर बताया गया जबकि दूसरे केंद्र पर जांच में कुछ नहीं निकला। उसने आशा, डॉक्टर व केंद्र संचालक पर कार्रवाई की मांग की है।
शुक्लागंज के मोहल्ला ऋषीनगर निवासी अंकिता शुक्ला ने बताया कि 12 मई को मासिक के दौरान खून अधिक निकलने पर जिला अस्पताल डॉक्टर को दिखाने गईं थीं। यहां उन्हें एक आशा कार्यकर्ता मिली। उसके साथ डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर ने अल्ट्रासाउंड लिख दिया। आशा उसे एक अल्ट्रासाउंड सेंटर ले गई। जांच में पेट में ट्यूमर दिखाया। आशा कार्यकर्ता ने निजी नर्सिंगहोम में ऑपरेशन की सलाह दी और 35,000 रुपये का खर्च बताया। उसी आशा ने एक डॉक्टर से दवा भी लिखवाई। 10 दिन की दवा 1200 रुपये की खरीदी। दवा खाने के बाद हालत गंभीर देख परिजनों ने निजी अस्पताल में डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर ने जांच रिपोर्ट गलत बताई और दोबारा अल्ट्रासाउंड की सलाह दी। 17 मई को दूसरे केंद्र से अल्ट्रासाउंड कराया। उसमें ट्यूमर जैसा कुछ भी नहीं निकला। रिपोर्ट लेकर जब पहले केंद्र पर पहुंची तो संचालक ने कहा मेरी पकड़ ऊपर तक है, कोई कुछ नहीं करा सकता। पीड़िता ने दवा लिखने वाले डॉक्टर, आशा कार्यकर्ता व जांच केंद्र पर कार्रवाई की मांग की है। सीएमओ डॉ. सत्यप्रकाश ने बताया कि मामला जानकारी में आया है। जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।
उन्नाव। अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर जांच के नाम पर भी खेल चल रहा है। इसकी शिकायत एक महिला ने सीएमओ से की है। उसने बताया कि आशा उसे एक अल्ट्रासाउंड केंद्र ले गई। वहां जांच में ट्यूमर बताया गया जबकि दूसरे केंद्र पर जांच में कुछ नहीं निकला। उसने आशा, डॉक्टर व केंद्र संचालक पर कार्रवाई की मांग की है।
शुक्लागंज के मोहल्ला ऋषीनगर निवासी अंकिता शुक्ला ने बताया कि 12 मई को मासिक के दौरान खून अधिक निकलने पर जिला अस्पताल डॉक्टर को दिखाने गईं थीं। यहां उन्हें एक आशा कार्यकर्ता मिली। उसके साथ डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर ने अल्ट्रासाउंड लिख दिया। आशा उसे एक अल्ट्रासाउंड सेंटर ले गई। जांच में पेट में ट्यूमर दिखाया। आशा कार्यकर्ता ने निजी नर्सिंगहोम में ऑपरेशन की सलाह दी और 35,000 रुपये का खर्च बताया। उसी आशा ने एक डॉक्टर से दवा भी लिखवाई। 10 दिन की दवा 1200 रुपये की खरीदी। दवा खाने के बाद हालत गंभीर देख परिजनों ने निजी अस्पताल में डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर ने जांच रिपोर्ट गलत बताई और दोबारा अल्ट्रासाउंड की सलाह दी। 17 मई को दूसरे केंद्र से अल्ट्रासाउंड कराया। उसमें ट्यूमर जैसा कुछ भी नहीं निकला। रिपोर्ट लेकर जब पहले केंद्र पर पहुंची तो संचालक ने कहा मेरी पकड़ ऊपर तक है, कोई कुछ नहीं करा सकता। पीड़िता ने दवा लिखने वाले डॉक्टर, आशा कार्यकर्ता व जांच केंद्र पर कार्रवाई की मांग की है। सीएमओ डॉ. सत्यप्रकाश ने बताया कि मामला जानकारी में आया है। जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।
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