तीन रशियन जोड़ों को भारतीय परंपरा इतनी भा गई कि उन्होंने हरिद्वार के एक आश्रम में हिंदू रीति-रिवाज से शादी रचा ली। देसी बैंड पर बजतीं देसी धुनें और उन पर थिरकती विदेशी युवतियों को देखकर ऐसा लग रहा था कि कोई म्यूजिकल प्रोग्राम हो रहा है, लेकिन ये सब तीन रूसी जोड़ों की शादी के दौरान हो रहा था। विदेशी संस्कृति और नई-नई परंपराओं के साथ होने वाली हाई प्रोफाइल शादियां तो आपने खूब देखी होंगी, लेकिन आज हम आपको रूस के तीन जोड़ों की हिंदू रीति-रिवाज वाली शादी के बारे में बताने जा रहे हैं।
धर्मनगरी हरिद्वार में अखंड परमधाम आश्रम के आंगन में रूसी नागरिकों की शादी वैदिक रीति-रिवाज से संपन्न हुई। अखंड परमधाम आश्रम के अध्यक्ष और वरिष्ठ संत स्वामी परमानंद गिरि के विदेश में कई अनुयायी हैं। इन विदेशी अनुयायियों का हरिद्वार स्थित आश्रम में भी आना-जाना लगा रहता है। कुछ दिनों पहले रूस के 50 नागरिकों का दल आध्यात्मिक यात्रा पर हरिद्वार पहुंचा था। इन सभी ने यहां पर योग और ध्यान कर भारतीय संस्कृति के बारे में जाना था। भारतीय संस्कृति से रूबरू होकर रूसी दल के 3 जोड़े इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने हिंदू रीति-रिवाज से शादी करने की ठान ली।
वरिष्ठ संत स्वामी परमानंद गिरि के अनुसार, भारत की परिवार व्यवस्था से प्रभावित होकर रूसी नागरिकों ने वैदिक परंपरा से शादी करने का फैसला लिया। विवाह के दौरान सभी रीति-रिवाजों का पालन किया गया। पारंपरिक दूल्हों वाली लाल शेरवानी और पगड़ी पहन कर सजे तीनों दूल्हों की बारात निकाली गई, जिसमें उनके साथियों ने भारतीय धुनों पर जमकर डांस किया। बारात में रूसी नागरिकों का उत्साह देखते ही बन रहा था। दूल्हा और दुल्हन ने भगवान के मंदिर में आशीर्वाद लिया और एक-दूसरे को वरमाला पहनाई। इसके बाद उन्होंने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच अग्नि को साक्षी मानकर 7 फेरे भी लिए और जीवन भर एक दूसरे का साथ निभाने का वचन दिया।